बनारस। आईआईटी-बीएचयू ने अतिथि प्रोफेसर डॉ संदीप पाण्डेय का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया। रद्द करते हुए पत्र में कोई खास कारण नहीं दिया गया।
प्रोफेसर पाण्डेय के अनुसार उनसे आईआईटी निदेशक राजीव संगल ने कहा कि ऐसा उनकी नक्सल और देशद्रोही गतिविधियों के कारण किया गया। तीन साल पहले बीएचयू में पढ़ाने के लिए आए प्रोफेसर पाण्डेय एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। और वे 2002 में मैगसेसे अवाॅर्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं। लंका के आसपास के इलाकों में वे महिलाओं और बच्चों के लिए एक संस्था के साथ मिलकर काम करते हैं।
साक्षात्कार के अंश:
आपको बीएचयू से निर्वसित क्यों किया?
मेरे ऊपर आरोप लगा है कि मैं एक नक्सली और देशद्रोही हूं। इसके लिए मुझे 2 जनवरी को बीएचयू से निकाल दिया गया। ये भी आरोप लगा है कि निर्भया पर ‘इंडियाज़ डॉटर’ नाम की डाक्यूमेंट्री जो बीबीसी ने बनाई और जिस पर सरकार ने रोक लगायी है वो भी मैंने दिखाई है। मुझे पत्र दिया है लेकिन उस पर कोई भी कारण नहीं लिखा हुआ है। मैं पिछले तीन साल से यहां पड़ा रहा हूं। कॉन्ट्रैक्ट हर साल नवीकृत होता है। मगर इस साल इसे जुलाई में मेरी समय सीमा खत्म होने से पहले ही रद्द कर दिया।
क्या आपने रोक लगी फिल्म दिखाई थी ?
नहीं। हमने सोचा था कि दिखानी चाहिए लेकिन चीफ प्रक्टर और लंका थाने के एसओ के मना करने के बाद नहीं दिखाई। उसकी जगह पर दूसरी फिल्म दिखाई थी वो भी एक महिला के ऊपर आधारित थी।
आपको क्या लगता है आपको क्यों निशाना बनाया गया? और किसके द्वारा?
मुझे लगता है इसके पीछे आरएसएस से जुड़े कुछ लोग हैं। वही लोग ये सब कर रहे हैं। मै आरएसएस की आलोचना करता रहता हूं। इसलिए ये सब मेरे साथ हो रहा है। आज़ादी में बिल्कुल भी साथ ना देने वाले ये लोग कहते हैं कि ये राष्ट्रभक्त हैं। ऐसा काम ये लोग कर रहे हैं जिससे देश में आतंक का माहौल बन रहा है।
क्या आपको लगता है कि बीएचयू में माहौल बदल रहा है?
पहले कभी किसी व्यक्ति को निशाना नहीं बनाया जाता था मगर जबसे भाजापा सत्ता में आई है ये सब होने लगा है। ये लोग (आरएसएस और दूसरी समान विचार संस्थाएं) वातावरण को दूषित करने में लगे हैं। पढ़ाई हो या एडमिशन, हर जगह पर अपनी मनमानी कर रहे हैं। ऐसे माहौल खराब हो रहा है और इससे पढ़ाई का स्तर भी बहुत खराब हो रहा है।