जिला अम्बेडकर नगर, ब्लाक भीटी, गांव पाण्डेय पैकौली। हिंआ कै रहै वाली षुभावती के षादी का बीस साल होत बाय लकिन रहत हइन माइका मा। हम उनकै कहानी वनही के मुंह से सुनेन।
हम पाण्डेय पैकौली गांव के ही रह वाली हई। हम एक मुसीबत कै मारी होय के यहि समाज कै धक्का बाटी। हमार पढ़ाई हाई स्कूल तक ही भै बाय। षादी तौ पांच साल के भीतर कै रहेन तबै भै रही। उहौ पांव पुजाई फिर नौ साल के बाद गवन गै रहा। कुल मिलाय के बीस साल होय गै बियाहे का। हम यतनी छोट रहेन कि हमै कुछ याद नाय अहै। रही बात बियाह जल्दी वाली तौ वैह समय गांव कै सब छोटाई पै गेदाहरन होय जात रहा। जब गवन गै तौ हम लगातार डेढ़ महिना ससुराल मा रोक लिहिन। ससुराल कै मनई सताउब षुरू कै दियत गइन। तब से हुआ न जाय के बारे मा सोचेन।
हम जाति कै षर्मा हई षादी गवन अउर बच्चा भै पै बुकवा लगाई थी। बर्तन भी घरे-घरे साफ करी थी। हमका अपने परिवार से पूरा सहयोग मिलत बाय। हम चाय कै दुकान करे रहेन गांव कै मनई नात-रिष्तेदार उल्टी, सीधी बात करै लाग रहिन फिर दुकान बन्द करै का परा। सबसे पहिले हम तलाक कै मुकदमे से छुटकारा पावै चाहिथी अउर वहि घर से रिष्ता टूट जाय। फिर खुद अपने पैर पै खड़ी हुएै चाही थी।