शीला दावरे भारत की पहली महिला ऑटो ड्राइवर हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने की राह शीला के लिए आसान नहीं थी। उन्होंने ड्राइवर बनने के लिए 18 साल में जिला परभनी छोड़कर पुणे शहर की तरफ रुख किया था। उस समय पुणे में सारे ड्राइवर पुरुष थे। ऐसे में शीला ने सलवार कमीज पहनकर ऑटो चलाया।
शुरुआती दिनों में शीला को महिला होने के कारण ऑटो किराए में नहीं मिलता था, जिसके चलते उन्होंने अपनी बचत के पैसों से ऑटो खरीदा। इस दौरान ही शीला की मुलाकात अपने पति शिरीष कांबले से हुई। शिरीष भी ऑटो ड्राइवर हैं।
शीला का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस’ में दर्ज है, जिसपर शीला का कहना है की वे बस ये काम करना चाहती थी, उनका मकसद रिकॉर्ड बनाना नही था। 1988 से 2001 तक ड्राइवरी करने के बाद आज वह अपनी खुद की पर्यटन कंपनी खोल चुकी हैं। अब वह महिलाओं को ऑटो रिक्षा चलाना सिखाना चाहती हैं, जिसके लिए उन्होंने अकादमी खोलने की योजना बनाई है।