संसद के शीतकालीन सत्र की समाप्ति हो चुकी है। सत्र के दौरान 15 विधेयकों(बिल) में से 10 पारित किए गए। लोक सभा में निर्धारित समय के अनुरूप 78% और राज्य सभा में 54% ही काम हुआ।
लोकसभा में दक्षिण भारत में आये चक्रवात ओक्खी के विशेष संदर्भ के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। राज्य सभा में दिल्ली में वायु प्रदूषण के अत्यधिक उच्च स्तर और देश की अर्थव्यवस्था, निवेश वातावरण, बेरोजगारी और रोजगार सृजन पर चर्चा हुई। इसके अलावा, अनुदान की पूरक मांगों पर चर्चा की गई और लोकसभा में पारित किया गया। तीन तलाक कानून के मुद्दे पर अवरोधों के कारण समय अधिक व्यर्थ गया। वही, हाल के राज्य चुनाव अभियान और महाराष्ट्र में भीमा–कोरेगांव हिंसा पर चर्चा हुई।
मुख्य रूप से देखा जाये तो…
– लोक सभा में राज्य सभा की अपेक्षा अधिक काम हुआ।
– 16% प्रश्नों का लोक सभा में मौखिक रूप से उत्तर दिया गया जबकि 22% प्रश्नों का राज्यसभा में उत्तर दिया गया।
– इस बार 2014 से विधयक पारित करने में सबसे ज्यादा समय लिया गया।
– 2014 से अब तक इस सत्र में सामान्य चर्चाओं की न्यूनतम संख्या रही
– लोकसभा ने प्रत्येक विधेयक पर चर्चा करने में अधिक समय व्यतीत किया जबकि कुछ ही विधेयक संसदीय समितियों के लिए भेजे जा सके।