देश में इन दिनों विरोध ही विरोध दिखाई पड़ रहा है। साहित्यकार अपने पुरस्कार लौटा रहे हैं। वैज्ञानिक अपने सम्मान वापस कर रहे हैं। इस विरोध के तरीके का कुछ संगठन या एक तरह की सोच वाले लोग विरोध कर रहे हैं। इसमें कई अभिनेता और अभिनेत्रियां भी शामिल हो गए हैं। फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बयान पर सबसे ज्यादा हंगामा मचा है। इसकी दो वजहें हैं। मशहूर होने के साथ ही वह मुस्लिम समुदाय के भी हैं।
शाहरुख खान ने अपने पचासवें जन्मदिन के मौके पर देश के माहौल को लेकर चिंता जताई। शाहरुख ने कहा कि देश में बर्दाश्त न करने का रवैया बढ़ रहा है। ऐसे में किसी घटना के विरोध में मैं भी पुरस्कार लौटा सकता हूं। उन्होंने कहा – ’हम कितना भी विचारों की आजादी की बात कर लें लेकिन वैचारिक मतभेद जाहिर करने पर लोग मेरे घर के बाहर आकर पत्थरबाजी करने लगते हैं।’ इस पर भारतीय जनता पार्टी के कई नेता शाहरुख पर बरस पड़े। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा – ’शाहरुख रहते हिंदुस्तान में हैं, लेकिन उनका मन पाकिस्तान में है। उनकी फिल्में यहां करोड़ों कमाती हैं, तब भी उन्हें लगता है कि यहां बर्दास्त करने का रवैया घट रहा है। यह देशद्रोह नहीं तो क्या है?’ इस बयान पर मुंबई में हुए आतंकी हमले का प्रमुख आतंकी हाफिज सईद ने शाहरुख को पाकिस्तान में आकर रहने का न्यौता दे डाला। बस क्या था, भाजपा के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने शाहरुख की तुलना हाफिज सईद से ही कर दी। मगर इस पूरी बयानबाजी में साफ हो गया कि शाहरुख के बयान को बर्दाश्त करने की क्षमता वाकई में केंद्र की सत्ता संभालने वाली मुख्य पार्टी में नहीं है। वरना शाहरुख की निजी राय पर इतने हमले नहीं होते!