अब तक शासन से जुड़ी जो जानकारियां, उनका लेखाजोखा कागज़ों में दर्ज होता था, लेकिन ई-शासन की शुरुआत होने से सब कुछ कंप्यूटर में दर्ज होने लगा है। सरकार और लोगों के बीच सूचना का आदान प्रदान करना ही ई-शासन है।
आज कल हमारी जानी पहचानी दुनिया को छोड़ कर एक और – इंटरनेट की दुनिया भी चल रही है। इंटरनेट मतलब अलग अलग जगहों पर कंप्यूटरों से बना एक जाल – जिससे कंप्यूटरों के बीच जुड़ाव हो, ताकि एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर जानकारी पहुंच सकती है। सो आज कल सरकार इंटरनेट को इस्तेमाल करके ई-शासन भी कर रही है। मतलब इलेक्ट्रानिक माध्यम से शासन करना, कंप्यूटर, फोन और इंटरनेट इस्तेमाल करके – इन पर जानकारी डालना, लोगों तक पहुंचाना, इनके साथ निगरानी रखना।
कर्नाटक राज्य के ‘भूमि’ प्रोजेक्ट में ग्रामीण ज़मीन से जुड़ी सभी जानकारियां – किसान का नाम, गांव का नाम, कितनी ज़मीन है, कौन-कौन सी फसलें उगती हैं – कंप्यूटर पर प्राप्त कराता है।
मध्य प्रदेश में इंटरनेट आधारित प्रोजेक्ट ‘ज्ञानदूत’ साल 2000 में सरकारी योनजाओं से जुड़ी जानकारी देने के लिए बनाया गया। जिले के पचास गांवों की पंचायतों में कंप्यूटर की सुविधा भी दी गई। यानि शासन की सबसे छोटी इकाई पंचायतों को भी ई-पंचायत बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में राष्ट्रीय सूचना एंव विज्ञान केन्द्र (एन.आई.सी.) ‘ई-गवरनेन्स समिति’ नाम का कार्यक्रम 2007 से चल रहा है। इसमें डी.एम. से लेकर वार्ड सदस्यों तक को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जाता है। एन.आई.सी. के टेक्निकल निदेशक आर.के. मदान ने बताया कि समिति छब्बीस सेवाओं के साथ आठ विभागों की जानकारी कंप्यूटर पर डालती है। इससे सारे विभागों के काम एक जगह देखे जा सकता हैं।