ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह के मामलों के अधिक होने की आम धारणा से विपरीत एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में लड़कियों के 18 साल से कम उम्र में शादी किए जाने के ज्यादा मामले देखने को मिले हैं।
इन आंकड़ों से ‘चिंतित’ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बाल विवाह को लेकर शहरी इलाकों में जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है।
गैर सरकारी संस्था ‘यंग लाइव्ज’ ने एनसीपीसीआर के साथ मिलकर एक अध्ययन किया और उसके अध्ययन पर आधारित एक रिपोर्ट जारी की गई जिससे यह स्पष्ट है कि देश में तमाम सरकारी, गैर सरकारी और सामाजिक प्रयासों के बावजूद बाल विवाह की समस्या बरकरार है। हालांकि बाल विवाह में गिरावट आई है।
साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 2001 से 2011 के दौरान देश भर में राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों के बाल विवाह में 0.1 फीसदी की काफी कमी आई लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसके पहले के दशक के मुकाबले खासा बढ़ोतरी हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2001 में शहरी क्षेत्रों में लड़कियों के बाल विवाह के मामले 1.78 फीसदी थे जो साल 2011 में बढ़कर 2.45 फीसदी हो गये।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2011 की जनगणना में पाया गया कि देश में एक दशक के भीतर कुल 1.2 करोड़ बाल विवाह हुए जिनमें 69.5 लाख लड़के थे जिनकी 21 साल से कम उम्र में शादी हो गई और 51.6 लाख लड़कियां थीं जिनकी उम्र शादी के वक्त 18 साल से कम है।
देश के 13 राज्यों के 70 जिलों की इस रिपोर्ट में सामने आया है कि बाल विवाह के मामले में राजस्थान की स्थिति सबसे खराब है। राजस्थान में 4.69 फीसदी लड़कों की शादी 21 साल से कम उम्र में हुई। इसी तरह राज्य की 2.5 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो गई।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड