उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में वकालत के छात्र दिलीप सरोज की 9 फरवरी को पीट-पीट कर हत्या कर डी गई। ये जाति आधारित हत्या है या कानून व्यवस्था की कमी। इस घटना पर छात्र विरोध कर रहे हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष अजीत कुमार यादव ने बताया कि 9 फरवरी के शाम दिलीप अपने दोस्तों के साथ कर्नलगंज के एक होटल में खाना खानें गया। वहां पैर टकरा जाने से कुछ लोगों से कहा सूनी हो गयी, इस कारण दिलीप को लाठी डंडो से पीटकर घायल कर दिया। यह मारपीट दलित जाति के कारण की गई थी, बाद में 11 फरवरी को दिलीप की मौत हो गई।
डिप्टी, एस. पी. आलोक मिश्रा का कहना है कि घटना के आरोपी विजय शंकर के साथ उसके तीन साथी थे। जिसमें से तीन आरोपी गिरफ्तार हो गये हैं, एक फरार है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि चार लाख बारह हमार रूपये अनुसूचित जाति के सहायता के लिए दिए जाते है लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आरोपियों को पकड़ना हैं।
इलाहाबाद डिग्री कालेज के छात्र लालता प्रसाद का कहना है कि प्रत्येक जिले और राज्य में फर्जी हमले हो रहे हैं। कहीं एनकाउन्टर, तो कहीं वंदेमातरम् और भारतमाता के नाम से, तो कहीं तिरंगा यात्रा के नाम से जबरदस्ती देशद्रोही का नाम देकर दलितों को मारा जा रहा हैं। छात्रा अंजली का कहना है कि पूरा सिस्टम मुट्ठी भर लोगों के हाथ में हैं और वो अपने हिसाब से चला रहे है। दिलीप के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये और उसके परिवार को पूरा मुआवजा मिलना चाहिये। सरकार इस तरह की घटनाओं के लिए क्या ठोस कदम उठा रही है। वकील विजेन्द्र श्रीवास्तव बताया कि सिर्फ सरकार को ही दोष नहीं देना चाहिये। ये घटना उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठती है कि भीड़भाड़ वाले इस बाजार में पुलिस क्यों नहीं थी? इतनी बड़ी घटना होने के अड़तालीस घंटे बाद रिपोर्ट लिखी गई है। इसके लिए सभी जिम्मेदार हैं।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी और सुनीता