तमिलनाडु के तुतीकोरिन में वेदांता लिमिटेड के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को लेकर हुए भारी विरोध के बाद राज्य सरकार ने स्टरलाइट फैक्ट्री को बंद करने का फैसला किया है.
लेकिन इसका खामियाजा 800 छोटे उद्यमों को भुगतना पड़ेगा. ये उद्यम बिजली क्षेत्र से जुड़े हैं. इससे करीब 50 हजार नौकरियां जाने का भी खतरा उप्पन्न हो गया है.
इस फैक्ट्री में बनने वाला कॉपर देश के तांबा उद्योग में 40 फीसदी का योगदान करता है. जो देश में कुल 10 लाख टन तांबा का उत्पादन होता है.
इस फैक्ट्री के बंद होने का असर देश के तांबा निर्यात पर भी पड़ेगा. तूतीकोरिन प्लांट से करीब 1.6 लाख टन कॉपर का निर्यात होता है.
देश में इस समय तांबा उत्पादन में 3 बड़ी कंपनियां-इंडियन कॉपर इंडस्ट्री, हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड और हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लगी हुई हैं. हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड केंद्रीय उद्यम है. यहां हर साल 99,500 टन तांबे का उत्पादन होता है.
वहीं हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और स्टरलाइट कॉपर में क्रमश: 5 लाख टन व 4 लाख टन तांबे का उत्पादन होता है. देश के कुल तांबा उत्पादन का 40 फीसदी चीन को निर्यात होता है. तूतीकोरिन प्लांट बंद होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 50 हजार नौकरियां प्रभावित होंगी.
बता दें कि तमिलनाडु के तूतीकोरिन में 22 मई को स्टरलाइट फैक्ट्री के खिलाफ करीब 20,000 लोग इकट्ठा हो गए थे. भीड़ फैक्ट्री को बंद करने की मांग कर रही थी. लोगों का आरोप था कि प्लांट से इलाके का पानी दूषित हो रहा है. साथ ही हवा में बढ़ते प्रदूषण के कारण नई-नई बीमारियां हो रही हैं. उग्र प्रदर्शन रोकने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाई थीं. इसमें अब तक 13 लोगों की जान चली गई थी.