विश्व बैंक ने एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 25 करोड़ लोग खराब गुणवत्ता वाले आवास के साथ बुनियादी सुविधाओं तक सीमित पहुंच के साथ रह रहे हैं।
‘शहरी गरीबों के लिए अवसरों का विस्तार‘ शीर्षक रिपोर्ट में पाया गया है कि पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सबसे ज्यादा शहरी विकास क्षेत्र हैं, लेकिन इन्हीं देशों (चीन, इंडोनेशिया और फिलीपींस के रूप में) में दुनिया की सबसे बड़ी गरीब आबादी 25 करोड़ है जो सार्वजनिक सेवाओं की कमी से जूझ रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बस्तियों में स्थिति निराशाजनक हैं, इन भीड़भाड़ वाली बस्तियों में रहने वाले लोग पानी, बिजली, मल–जल निपटान, सार्वजनिक परिवहन और किफायती आवास की कमी से जुझ रहे हैं।
विश्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि ‘झुग्गियां‘ शहरी निर्मित पर्यावरण के भीतर अभाव और बहिष्कार (मौद्रिक, ढांचागत, सामाजिक और राजनीतिक) के क्षेत्र चिह्नित करती हैं और ‘गरीबी के शहरीकरण की दिशा में एक प्रवृत्ति का संकेत देती है‘।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शहरी विकास ने पिछले 20 सालों में पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लगभग 65.5 करोड़ लोगों के गरीबी से उभरने में सहायता की है। लेकिन इसने असमानता की खाई को भी चौड़ा किया है।
विश्व बैंक के अनुसार, शहरी गरीबों में रोजगार के अवसर और सार्वजनिक परिवहन तक पर्याप्त पहुंच की कमी है, जबकि वे प्राकृतिक आपदा जोखिम के बारे में ज्यादा उजागर हैं।
रिपोर्ट में, नौकरी बाजार के साथ शहरी गरीबों को जोड़ने, शहरी नियोजन में निवेश करने, आवास सुनिश्चित करने, शहरी गरीबों में उपेक्षित उप–समूहों की मदद करने और सूचना प्रणाली में सुधार करने जैसी सिफारिशें भी शामिल हैं।