सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या के राम जन्मभूमि–बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर अहम सुनवाई होगी। जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की सदस्यता में इस मामले की सुनवाई होगी।हजारों पन्नों के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि–बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर पांच दिसंबर से सुनवाई करने का निर्णय लिया था। अनुवाद अब पूरा हो चुका है।
अयोध्या में राम जन्म भूमि–बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराए जाने की 25वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले राम जन्मभूमि–बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर यह शायद आज अंतिम सुनवाई हो सकती है।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था। इस बीच उत्तर प्रदेश के केन्द्रीय शिया वक्फ बोर्ड ने इस विवाद के समाधान की पेशकश करते हुए न्यायालय से कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल से ‘‘उचित दूरी’’ पर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है।
करीब सात वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है। इससे पहले कोर्ट ने सलाह दी थी कि सभी पक्षों को आपसी सहमति से मसले का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि ऐसी स्थिति में मध्यस्थता के लिए किसी जज की नियुक्ति की जा सकती है। कोर्ट का यह रुख इसलिए अहम है क्योंकि एक बड़ा वर्ग इसे बातचीत और सामंजस्य से ही सुलझाने की बात करता रहा है।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने साल 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर–बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था।
पांच दिसम्बर को सुनवाई से पहले इस मामले में कई नए मोड़ आ गए हैं। शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में सुलहनामा दायर कर मंदिर की जगह हिंदुओ को देने की बात कही है और मस्जिद लखनऊ में बनाने की। सुप्रीम कोर्ट इस सुलहनामे पर सुनवाई करेगा।