बढ़े बिल आवैं के समस्या कउनौ नई समस्या न होय। सोचै वाली बात या है कि कम्प्यूटर अउर टेक्नालजी यतना आगे बढ़ गे है तौ जिला, शहर, कस्बा अउर गांव मा यहिके लाभ काहे नहीं उठाये जात आय? अबै तक मा विभाग अउर सरकार मिल के बिजली के बिल जइसे सरल मुद्दा का काहे नहीं निपटा पावत आय? बांदा जिला के शहर, कस्बा व गांव मा मीटर लागैं का काम चलत है।
कनेक्षन न ले तौ फर्जी बिल, कनेक्षन काटैं खातिर दरखास दे के बाद भी फर्जी बिल अउर बिना मीटर चेक का फर्जी बिल। इनतान के बिल भेजैं मा बिजली विभाग के ऊपर कड़ी कारवाही होय का चाही। या फेर दूसर रास्ता उपभोकता फोरम मा षिकाइत कीन जा सकत है। जानकारी के कमी होय से षिकाइत का लाभ बहुतै कम मड़ई पावत है। आखिरकार बिजली बिभाग बिल के सही अउर साफ सुथरी प्रक्रिया चलावैं मा काहे पीछे है?
बांदा अउर चित्रकूट जिला मा बड़ी दुकानैं चक्की अउर आरा मषीन हैं। यहिके अलावा और भी उंई संसाधन इस्तेमाल कीन जात हैं जेहिमा ज्यादा बिजली का खर्च होत है। दूसर कइत अगर कस्बा अउर गांव के हाल देखै तौ सिर्फ बिजली कनेक्षन खातिर नाम चढ़ावैं के दिन से ही बिल जोड़ै के शुुरूवात होई जात है। जबैकि अबै खम्भा तार लागब भी बाकी है अउर बिल आवब शुुरू। यहै बिल बढ़ के लाखन रूपिया के संख्या मड़इन के नींद अउर चैन छीन लेत हैं।
विभाग कबै तक भराई फर्जी बिल
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