13 नवम्बर 2013 से बांदा जिला के सरकारी करमचारी 15 सूत्रीय मांगन का लइके हड़ताल मा चले गे हैं। विकास भवन जल संस्थान, पी.डब्लू.डी. समेत कइयौ विभागन मा ताला लटकत मिलत है। जनता आपन समस्या लइके विभागन मा जात है अउर लटकत ताला देख के निराश होइके लउट जात है।
सरकारी करमचारी वेतन बढ़ावब, स्वास्थ्य सुविधा, कइयौ विभागन मा सीधे भर्ती करब अउर प्रमोशन करैं मा खुलापन होब जइसे के मांगन का लइके सरकार से मांग करत हंै। कइयौ सरकारी करमचारी कहत हैं कि सरकार ड्यिूटी से जयादा चार गुना काम करावत है। बड़े अधिकारिन का काम भी छोट पद के बाबू या करमचारियन का करंै का परत है, पै सरकार काम अउर मंहगाई के हिसाब से वेतन मा बढ़ोत्तरी काहे नहीं करत है? हड़ताल मा बइठ करमचारी आपन जघा सही हैं, पै उनके हड़ताल के मार आम जनता का काहे भोगै का परत है? आपन समस्यन से परेशान जनता नियाव खातिर विभाग मा जात है, पै होंआ लटकत ताला देख उनकर समस्या अउर बढ़ जात है। समय रूपिया अउर मेहनत बरबाद करैं के बाद उनका या समय परेशानी के अलावा कुछौ नहीं मिलै। इनतान के स्थिति मा सरकार जनता अउर करमचारिन के हित के बारे मा काहे नहीं सोचत आय? आखिर कबै तक परेशान रही जनता? कबै तक रही हड़ताल अउर सरकार कबै करी सुनवाई? यहै सवाल या समय ज्यादातर मड़इन से सुनै का मिलत है।
विभागन मा ताला करमचारी हड़ताल मा
पिछला लेख