सरकार नया-नया नियम बनाय के गरीबन का सहारा दियाथै। जेसे गरीबन का दर-दर भटकै का न परै। लकिन यहि समय ई नियम कै असर नाय देखात बाय। हम बात करत हई। विधवा वृद्धा अउर विकलांग पेंषन कै। जवने के ताई मेहरारू विकास भवन कै। चक्कर काटति अहैं। लकिन पेंषन नाय मिली।
फैजाबाद अउर अम्बेडकर नगर मा यहि समय पेंषन न आवै से काफी परेषानी बाय। विकास भवन मा पता करै के बादौ कउनौ कारण नाय पता चलत बाय कि काहे नाय मिला। कटेहरी टलाक के आमा गंाव के वृद्धा द्रोपति का 2014 से पेंषन नाय मिली। उनकै सहारा पेंषन ही रहा। हर दसवें पन्द्रहवे दिन पेंषन चेक करावै पास बुक लइके जाथिन लकिन उनकै आषा अबहीं अधूरी बनीं बाय। कब आये कब नाय इंतजारै करै का बाय।
तारुन ब्लाक के कइव विधवा मेहरारू जगपता माधुरी कै पेंषन नाय आय। जवन दुई महीना से ज्यादा होइगा अब तक आय जाए का रहा। लकिन षासन-प्रषासन दिलाषा दिलाय दियत अहैं कि दस दिन मा आय जाये। लकिन नाय आय।
जब षासन-प्रषासन का भी सही पता नाय मिलत कि पेंषन कब तक आये तौ बार-बार काहे दौराय जाथै। जेकरे केहूं काम करै वाला नाय बाय उ नाय जानत तौ कवन मेर काम करे। षासन प्रषासन के कहे अनुसार बार-बार विकास भवन जाय का पराथै। जेहमा उनकै अलग से खर्चा लागाथै। षासन-प्रषासन कै भी मानब बाय कि 2014 से वृद्धा पेंषन नाय मिली बाय। लकिन नियब बंद होइगा काहे नाय मिलत बाय कउनौ पता नाय बाय?