जिला बांदा, गांव चंदौर, 9 जनवरी 2017। पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव की घोषणा होते ही चंदौर गांव वासियों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। 3 जनवरी को चुनाव तिथि आने के बाद 4 जनवरी को ग्रामीणों ने प्राथमिक विद्यालय के बाहर जमा होकर नारेबाजी के साथ चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की। ग्रामीणों का कहना हैं कि वे इस बार राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशियों के छलावे में नहीं आएंगे। विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी और रोजगार से कोसों दूर इस गांव के लोगों ने विकास नहीं तो वोट नहीं का नारा देते हुए वोट नहीं देने की बात कही।
वोट बैंक की राजनीति ने आज नेताओं का मकसद सिर्फ वोट बटोरना कर दिया है। पर इन नेताओं को सबक सिखाने के लिए आम जनता क्या करें, जिनके पास वोट देने के अलावा और कोई राजनीतिक अधिकार नहीं है। ऐसी स्थिति में अपने कल्याण की राह ताक रही जनता कई बार मतदान का बहिष्कार करके अपना विरोध जताती है। वहीं चंदौर गांव के लोगों ने भी किया।
चंदौर गांव के लोगों का आरोप है कि यहां के विधायक और सांसद उनको मिलने वाली निधि का सही इस्तेमाल नहीं करते हैं। तो ऐसी स्थिति में ग्राम प्रधान भी गांव का विकास कैसे कर सकते हैं। लोगों का कहना हैं कि वे इस चुनाव में ठगने वाले नहीं हैं। पहले उनकी मांगे पूरी की जाएं फिर ही वे वोट देंगे।
चंदौर गांव में ग्रामीणों ने एक-एक कर अपनी समस्याओं से सबको अवगत कराया। शिव बोधन गांव में बेरोजगार युवाओं की लम्बी फौज होने की बात कहते हुए बोलते हैं, “बीए, एमए की पढ़ाई करे युवाओं को रिश्वतखोरी के कारण नौकरी नहीं मिल रही है।”
50 वर्षीय गिरजा भी खुद को कम खेती वाली किसान कहती हैं, वह कहती हैं, “मुझे तो राशन कार्ड भी नहीं मिल रहा है, अब मैं वोट तब ही दूंगी जब हमारी समस्याओं में कमी आएगी।”
70 साल की गुजरतिया कहती हैं, “बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल की सुविधा नहीं है। हमारे खेत सूखे से खराब हो गए हैं, अब लड़को और लड़कियों की शादी करनी थी, उनकी शादी में परेशानी हो रही है।”
वहीं गांव के प्रधान रामचन्दर यादव भी लोगों के साथ होते हुए कहते हैं, “इस गांव की 45 सौ मतदाता उसे ही वोट देंगे, जो इस गांव को विकास करेंगा।”
चंदौर गांव के लोगों की मांग हैं कि उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी और रोजगार जैसी बुनियादी चीजों दी जाएं, तब ही वे लोग पोलिंग बूथ तक जाएंगे।
रिपोर्टर- मीरा देवी और गीता
05/01/2017 को प्रकाशित