जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, गांव मनगवां। हिंया के ऊषा का आरोप हवै कि विकलांग प्रमाण पत्र डाक्टर राजकुमार अबै तक नहं दिहिस हवै। यहिसे कर्वी तहसील के पन्द्रह दिन से चक्कर लगावत हवै।
ऊषा का कहब हवै कि मैं दूनौ गोड़न से विकलांग हौं। मोर महतारी चंदनिया मजूरी कइके घर का खर्चा चलावत हवै। अगर एक दिन मजूरी न करै तौ वा दिन षाम के घर मा चूल्हा नहीं जलत आय। मोर उम्र अठ्ठारह साल होइगे हवै। यहिसे सोचत हौं कि विकलांग प्रमाण पत्र बन जाये तौ सरकार कइजी से कुछ लाभ मिलै लागै। यहिसे 27 दिसंबर का तहसील दिवस मा प्रमाण पत्र बनवावै आई रहौं तौ फोटो खिंच गे अउर डाक्टरी भी होइगे हवैं, पै अबै तक विकलांग प्रमाण पत्र नहीं मिला आय। मानिकपुर से साठ रुपिया किराया लगा के अइत जइत हन। गरीबी मा हमार आटा गीला होय मा लाग हवै। यहिसे 5 जनवरी का फेर कर्वी तहसील दिवस आवै का परा हवै। डाक्टर कहि देत हवैं कि अबै बइठ जाव प्रमाण पत्र दीन जई।
डाक्टर राजकुमार त्रिपाठी का कहब हवै कि ऊषा का विकलांग प्रमाण पत्र बन गा हवै। आज ही प्रमाण पत्र दइ दीन जई।
विकलांग प्रमाण पत्र खातिर तहसील के लगावै चक्कर
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