संविधान के अनुच्छेद 17 द्वारा छुआछूत को भले ही 67 साल पहले खत्म कर दिया हो लेकिन हकीकत में यह आज भी समाज में फैला हुआ है। इसका ताज़ा उदहारण कोतवाली क्षेत्र के खेड़ा गांव में देखने को मिला।
इस गाँव में नाईयों द्वारा वाल्मीकि समुदाय के लोगों के बाल काटने से इंकार कर दिया गया। जिससे क्षुब्ध हुए वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने 13 मई को प्रदर्शन कर आरोप लगाया कि नाई उनसे छुआछूत का व्यवहार करते हैं और इसी के चलते उनके बाल काटने से इंकार करते हैं।
वाल्मीकियों ने बताया की जब भी वह नाईयों की दुकान पर बाल कटवाने जाते है तो उनके बाल काटने से इंकार कर दिया जाता है। साथ ही वाल्मीकि होने के कारण नाई उनसे छुआछूत मानते हुए दुर्व्यवहार करते हैं। वाल्मीकियों ने पुलिस से छुआछूत मानने वाले नाइयों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग करते हुए बाल काटवाए जाने की मांग की।
लेकिन इस विवाद में 16 मई को पुलिस की उपस्थिति में मिल बैठकर निपटारा हो गया। इसके बाद बारबरों ने वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल काटे।
सूत्रों के अनुसार,अपर पुलिस अधीक्षक, सीओ व एसडीएम गांव जा पहुंचे और दोनों पक्षों को समझा–बुझाकर आपसी सौहार्द बनाए रखने की बात कही। इसी बीच गांव में पुलिस की मौजूदगी में दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बन गयी और नाईयों ने वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल काटकर विवाद को समाप्त कर दिया।