आसन बैठनें में आराम दायक और लोगों के काम का दिनभर का साथी है। वाराणसी जिला के ब्लाक चोलापुर के गांव ढकवा में महिलायें पतलों का रंग-बिरंगा आसन बना रही हैं, लेकिन यह आसन बनाना बहुत मुश्किल है।
शोभावती का कहना है कि हम हमेशा से यह काम करते हैं। इस काम को करने में हाथ कट जाते है और फुंसी निकल आती है, फिर भी मजबूरी में यह काम करन पड़ता है, क्योंकि इसके अलावा यहां कोई दूसरा काम नहीं है। सुनीता ने बताया कि पतल लगाकर बिनते है। जब दस पतल हो जाते है तो काट देते हैं। एक आसन तीस रूपये में बिकता है। मालती का कहना है कि पतल काटने जाते हैं तो कीड़ो का डर लगता है। कुछ काम न होने के कारण मजबूरी में यह काम करना पड़ता है क्योंकि बच्चों को पालने के लिए कुछ पैसा मिल जाता है। एक महीने में आठ-नौ सौ का काम हो जाता है।दिनभर बीनते हैं तो तीस रूपये का काम होता है। गुलाबी का कहना है कि आसन खरीदनें के लिए बनारस से लोग आते हैं।
रिपोर्टर- अनामिका
Published on Mar 7, 2018