अमेरिका स्थित संस्था हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट ने ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2018’ (वायु प्रदुषण से जुड़ी रिपोर्ट)जारी की है।
इसके अनुसार 2016 में पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण से 60 लाख लोगों की असमय मौत हो गई, जिनमें से आधे लोग चीन और भारत के रहने वाले थे।
यही नहीं, इन दोनों देशों में पार्टिकुलेट मैटर-2।5 (बहुत महीन कण, जो फेफड़ों में जमा हो जाते हैं) से मरने वाले लोगों की संख्या भी दुनिया में सबसे ज्यादा रही।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन में घरेलू वायु प्रदूषण का सामना करने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा रही। साल 2016 में ऐसे लोगों की संख्या भारत में 56 करोड़, जबकि चीन में 41 करोड़ थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में 25 फीसदी घरों के भीतर मौजूद वायु प्रदूषण से होती है, जबकि चीन में यह आंकड़ा 20 फीसदी है।
यही नहीं, भारत में पीएम 2।5 की कुल मात्रा के 24 फीसदी हिस्से के लिए घरों में इस्तेमाल होने वाले जैव ईंधन को जिम्मेदार बताया गया है।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2010 के बाद से भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे दक्षिण एशियाई देशों में वायु प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ी है।
यही नहीं, दुनिया की 95 फीसदी आबादी ऐसे इलाकों में रहती है, जहां की हवा सांस लेने के लिए असुरक्षित है। इस रिपोर्ट में गरीब तबकों को वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित बताया गया है।