एक अमेरिकी अदालत ने फैसला दिया है कि एक बंदर जिसने वन्यजीवन फोटोग्राफर के कैमरे को छीन कर अपनी सेल्फी ली थी, वो उस तस्वीर का कॉपीराइट मालिक नहीं है।
ब्रिटिश फोटोग्राफर डेविड स्लेटर और पशु अधिकार समूह पीईटीए के बीच एक लंबी कानूनी लड़ाई के तहत निर्णय लेने की लम्बी कोशिश की गई।
मामला 2011 में शुरू हुआ जब क्रिस्टेड मैकक बंदर ने कैमरे से अपनी सेल्फी ली थी। स्लेटर ने जंगल इंडोनेशियाई द्वीप सुलावेसी पर थे और बटन दबाकर काम करने वाले कैमरे के साथ वहां मौजूद थे, तभी एक बन्दर ने उनका कैमरा ले कर अपनी मुस्कराहट वाली सेल्फी ले ली।
स्लेटर के कैमरे पर दर्ज की गई तस्वीर जल्द ही वायरल हो गई, और अब तक के सबसे वायरल तस्वीरों में से एक बन गई है।
लेकिन 2015 में, अमेरिका के पशु अधिकार समूह के जानवरों के नैतिक उपचार के लिए लोगों ने नारुतो की तरफ से एक मुकदमा दायर किया और दावा किया कि फोटोग्राफर ने नारुतो के कॉपीराइट का उल्लंघन किया था क्योंकि बंदर ने ये तस्वीर खुद ली थी और वो इस तस्वीर का इस्तेमाल कर रहे थे।
प्रारंभिक अदालत के फैसले ने पीईटीए के मामले को खारिज कर दिया, लेकिन स्लेटर ने माना कि वे अक्टूबर से तस्वीर से प्राप्त आय का 25 प्रतिशत बंदरों के रहने आदि की सुविधा के लिए दान करेंगे।
कैलिफ़ोर्निया अपील कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जानवर कॉपीराइट उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। जिसने तस्वीर ली वो उसे एक दोस्त की तरह पेश कर सकता है।