लोकसभा चुनाव का जेतना समय नाजदीक आवत है वतना ही जोर-शोर से पार्टिन के बीच प्रचार के जंग छिड गे है। पार्टी एक दूसरे के ऊपर आरोप मढ़ै से पिछे निहाय। उनका लागत है कि उंई जनता का मन जीत जेहैं अउर जनता का अमूल्य वोट आपन झोली मा डाल लेहैं। जइसे कि 11 फरवरी 2014 का सपा कैबिनट मंत्री शिवपाल सिंह यादव आपन का नींक अउर दूसर पार्टी के बुराई करिन।
चुनाव का चुनाव के नजरिया से काहे नहीं देखा जात आय? पार्टिन खातिर चुनाव दंगल मा कुश्ती लड़ै के जइसे है। पार्टिन के चमचा चुनाव का दंगल बनावब ही आपन काम समझत हैं। या काम खातिर उनका वेतन दीन जात है। इं चमचा भी आपन का बहुतै नसीब वाला समझत हैं। काहे से उंई भी नेता मंत्री का पद पावैं खातिर बेताब रहत हैं। मड़ई अब का जनता से या उम्मीद कई सकत है कि अइसा भी कउनौ चुनाव होई जेहिकर नेता रूपिया, धन दौलत, गाड़ी बंगला अउर अमीर बनैं का लालच करैं वाला नहीं भृष्टाचार हटावैं अउर भारत का सोने के चिडि़या बनावैं के लालच वाला होई। या लालच करब आज के नेतन के बस के बात निहाय।
पार्टी के नेता मंत्रिन का या भी सोचैं का चाही कि उनके वादा केतना खरे उतरत हैं। काहे का वादा का पुल बांधत हैं। प्रचार प्रचार करैं के जंग बहुतै जोर-शोर है, पै जउन जनता के मन मा है वहिका जानब बहुतै मुश्किल है। का नेता मंत्री आपन वादन का पूरा करैं मा नाकाम होय के बाद भी जनता से वोट पावैं के उम्मीद करत हैं।
वादा मा नाकाम पार्टी, जनता से करै वोट के उम्मीद
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