लोक सभा चुनाव तौ नजदीक चला आवत है, पै या साल कइयौ गांवन के जनता वोट दें खातिर तैयार निहाय। पार्टी वाले तौ प्रचार करैं जात हैं, पै उनका समस्या के बात नहीं सोच आवत आय। जउनतान वोट खातिर पार्टी वाले जात हैं वहिनतान अगर विकास भी करावैं का चाही। जउनतान पार्टी वाले खुश होई जात हैं वहिनतान गांवन के जनता भी खुश होई जाय। जबै से चुनाव होब शुरू भा होई तबै से आज तक देखा जाय तौ दूर दराज के जंगली इलाका जइसे का तइसे परे हैं। सरकार का तौ खुदै सोचै का चाही कि वहै जनता आय जेहिके भरोसे सरकार चलत है, पै जातैं के बाद सरकार जनता खातिर कुछ नहीं सोचत आय। आखिरकार इनतान काहे कीन जात है। जो सरकार अउर पार्टी वाले खुदै इनतान करिहैं तौ पूर जनता समस्या से जूझत रही। यहिसे अब मजबूर होइके जनता का वोट बहिष्कार करब देखात है। जनता मा बहुत गुस्सा है यहै मारे जनता बहुतै जोर से कहत है कि अब कउनौ पार्टी का वोट न देबे। पार्टी वाले तौ वोट खातिर बहुतै लालच देत हंै। साथै पार्टिन का तौ कही दीन जात है कि जाओ गांव से वोट मांगौ अउर चुनाव लडौ। का सरकार के जिम्मेदारी चुनाव करावब बस आय। जानता के समस्या निपटावैं के कउनौ जिम्मेदारी न होय। जनता भी अब वहिष्कार खातिर मजबूर है। अगर सरकार अउर पार्टी वाले जनता के बारे मा सोचै तौ जनता उनके साथे है।
वादा नहीं पूर भा तौ करैं वोट बहिष्कार
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पेंसन के राह में अभी भी हई जनता
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