राज्य सरकार गांव के विकास के बारे तो बोहतई सोचत हे, पे ऊखों लाभ गांवन तक बोहतई कम पोहच पाउत हे। जीसे विकास की समस्या जेसे के तेसे बनी रहत हे, ओर बजट खतम हो जात हे। हम बात करत हे डाक्टर राम मनोहर लोहिया गांवन की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में सन् 2012-13 में सोलह गांव ओर 2013-14 से अट्ठारह गांव चुने जात हे। जीमें विकास के लाने ऊ गांव में ज्यादा नजर रखी जात हे। फिर भी ऊ गांव को विकास नई हो पाउत हे। लोहिया गांव होय के बाद भी प्रधान बजट की मांग करत रहत हे। जभे की गांव के विकास के लाने सरकार ने 36 विभाग खा जिम्मेदारी दई हे।
2013-14 में जोन लोहिया गांव चयनित भये हें। ऊ गांव को काम पूरा नई हो पाओ हे ओर दुबारा से 2014-15 के 18 गांव लोहिया चुन लये हे। पे सरकार खा नये काम आगे बढ़ाये से पेहले पुरानों कराओ गओ काम खा पलट के देख लेय खा चाही, कि कोन हद तक ऊ गांव को काम पोहचों हे। काय से जैतपुर ब्लाक को कैथोरा गांव 2013-14 में लोहिया भओ हतो। जीमें प्रधान के बताये के अनुसार एक साल में सिर्फ एक सड़क बनी हे, बाकी सड़क बनवाये खे लाने 3 लाख रूपइया की मांग करी हे। सवाल जा उठत हे कि जभे अलग अलग विभाग खा आपन-आपन जिम्मेदारी दई हे तो फिर गांव की हालत पेहले जेसे काय रहत हे? लोहिया गांव खा विकास में पेहले नम्बर देखो जात हे तो प्रधान खा बजट मंगाये की काय जरूरत हे। ई सब बातन पे सरकार खा ध्यान देय की बोहतई जरूरत हे। सरकार खा गांव को काम पलट के देखें खा चाही? अपने विभाग के कर्मचारियन में ईखों जवाब लेय खा चाही। तभई जा समस्या दूर हो सकत हे।