देश से करोड़ों का पैसा भागने वाले नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोगों के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को 20 जुलाई को लोकसभा में पारित कर दिया गया।
यह विधेयक वित्त मंत्री पीयूष गोयल की तरफ से पेश किया गया था। विधेयक में धोखाधड़ी और कर्ज लेकर विदेश भागने वाले आर्थिक अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने का अधिकार संबंधित एजेंसियों को देने का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक को पिछले सत्र में सदन में पेश किया था जिसमें कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक के ऐसे अपराध करने वालों पर कानून के शिकंजे में लाने के लिए उनकी संपत्ति जब्त करने का प्रावधान रखा है यह विधेयक उसका स्थान लेगा।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह एक सुलझा हुआ विधेयक है और इसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लाया गया है।
इस कानून में 90 दिन के भीतर बेनामी और घोषित दोनों तरह की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है। अगर कोई अपराधी भाग भी जाए तो बगैर कोर्ट में मामले लाए उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी।
वहीं राज्यसभा में रिश्वत लेने और देने दोनों को अपराध की श्रेणी में लाने वाले भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 2018 को गुरुवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
इस विधेयक के जरिए भ्रष्टचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 1988 में संशोधन किया गया है। विधेयक के अनुसार लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केन्द्र के मामले में लोकपाल और राज्यों के मामले में लोकायुक्तों से अनुमति लेनी होगी।