उत्तर-प्रदेष सरकार ने तो लैपटाप देकर अपना वादा पूरा कर दिया है लेकिन गांव के बच्चे ठीक प्रकार से चला ही नहीं पा रहे हं। इस तरह से बेकार ही साबित हो रहा है। जब राज्य सरकार को इस योजना के लिए 2700 करोड़ रुपये मिले तो क्या राज्य सरकार को बिजली और षिक्षा जैसी सुविधाओं के लिए पैसा नहीं मांगना चाहिए था? जिनके घर में कोई सिखाने वाला नहीं है या उनकी स्थिति ऐसी नहीं है। कि उनके माता पिता बाहर सीखने के लिए भेजें तो उनका लैपटाप बेंचने के सिवाय कोई चारा नहीं है। अम्बेडकर नगर के कटेहरी ब्लाक की नीतू षिमला ने बताया कि हम तो डर के कारण छूते ही नहीं हैं कहीं बिगड़ न जाए।
सबसे बड़ी दिक्कत तो विजली की है बिना चार्ज किये चलेगा ही नहीं। लैपटाप तो मिल गया पर चार्ज करने हम लोग कहां जाएं। कई इलाको में लैपटाप मिल गया लेकिन बिजली की समस्या है जिसके कारण लैपटाप को इस्तेमाल करना मुष्किल हो रहा है। कहां तक सब पैसा देकर चार्ज करवायंगे। वहीं दूसरी तरफ कुछ बच्चे लैपटाप में इतना बिजी हैं कि पढ़ाई की तरफ कोई ध्यान नहीं है। वो दिन भर फिल्म देखने और फेसबुक मं जुटे रहते है। वहीं अम्बेडकर नगर के जिला विद्यालय निरीक्षक ओमप्रकाष का कहना है कि शासन से प्रषिक्षण के व्यवस्था के लिए मांग की गई है। लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया कि बच्चों को प्रषिक्षण दिया जाए और बच्चे लैपटाप का भरपूर प्रयोग कर सके।
लैपटाप का हो रहा द्रुपयोग
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