लेखिका और समाजसेविका महाश्वेता देवी का दिल के दौरे के बाद 28 जुलाई को निधन हो गया। 90 साल की लेखिका को साहित्य अकादमी, पद्म विभूषण, ज्ञानपीठ और मैग्सेसे जैसे ख्याति प्राप्त पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। पिछले दो माह से उनका इलाज कोलकाता में चल रहा था। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों की वजह से भर्ती कराया गया था। खून की खराबी और किडनी फेल होने जाने की वजह से उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती चली गई। उनकी मशहूर कृतियों में ‘हजार चौरासी की मां, ब्रेस्ट स्टोरीस और ती कोरिर साध’ जैसे नाम शामिल हैं। उनकी कई कहानियों पर फिल्म भी बन चुकी है। बंगाल के जाने –माने लेखकों में से एक महाश्वेता को आदिवासी लोगों के लिए काम करने के लिए भी जाना जाता है।
वे जितनी अच्छी लेखिका थीं, उतनी ही बेहतर समाज सेविका साबित हुईं। महाश्वेता देवी के निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत ने एक महान लेखक खो दिया है। बंगाल ने एक ममतामयी मां को खोया है। मैंने एक निजी मार्गदर्शक को खो दिया है। ईश्वर महाश्वेता दी की आत्मा को शांत दे।’
1979 में इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार बंगाली भाषा में मिला। 1986 में पदम श्री, 1996 में ज्ञानपीठ, 1997 में रेमन मेग्सेसे अवॉर्ड, 1999 होनोरिसा कौसा अवॉर्ड, 2006 में पद्मविभूषण और 2010 यशवंत राव चाह्वाण, 2011 में बंगावी भूषण, 2014 में हॉल ऑफ फेम लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला।