सिम कार्ड खरीदौं अउर नये राशन कार्ड खातिर फार्म भरौ। या सच्चाई होंआ के आय जहां से फार्म आनलाइन भरे जाते हैं। राशन कार्ड का नियम बनावत समय शायद सरकार या सोचिस कि गांव मा मोबाइल परिवार के बीच तौ होतै हैं। अब परिवार मा दस लोग हैं तौ दस लोगन का अलग अलग नम्बर डालैं का परी तबै रिकार्ड बन पाई। अब जउन परिवार मा एक मोबाइल नम्बर है तौ नौ जने का सिम खरीदैं का ही परी। या मजबूरी का देख के फार्म भरैं वाले यहिकर बढ़ चढ़ कर फायदा उठाइन। कहिन कि मड़इन का बाजार जाये के जरूरत निहाय। हमसे सिम खरीदौ। मजबूरी मा मड़ई सौ से डेढ़ सौ तक के सिम खरीदत हैं। यहिसे दुकानदार का डबल फायदा होत है। एक कइत जहां फारम भरैं मा रूपिया लेत हैं तौ सिम बेच के फायदा कमात हैं प्रशासन का मानब कि मोबाइल नम्बर जरूरी है तौ मड़ई कतौ से भी सिम कार्ड तौ खरीदबै करी। कमाई करैं वाले मड़इन से रूपिया लइके मालामाल होत जात हैं। कत्तौ सर्वे के नाम कतौ आधार कार्ड के नाम तौ आवास अउर अब राशन कार्ड के नाम से गरीब जनता से रूपिया लइके लूटा जात है। का सरकार कउनौ भी योजना बनावै से पहिल या नहीं सोचज आय कि जउन नियम बनाये हैं उनका इनतान के नियम बनावै से जनता का केत्ता फायदा मिल पाई। सरकार योजना का लाभ दें से पहिले ही जनता का परेशान करै का काम शुरु कइ देत है। या निमय मा लिखे रूपिया से नहीं बल्कि मनमानी रूपिया जनता से लीन जात हैं। लोगन से रूपिया के लूट से सिर्फ यहै लागत है कि सिर्फ इनतान कइके लूट सकौ तौ लूट वाली बात बिल्कुल सही हैं यहिमा रोक लगावब बहुतै जरूरी है।
लूट सकौ तौ लूट का तमासा
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