जिला बाराबंकी, ब्लॉक हैदरगढ़ आप सब कभौ सोचे अहैं की ट्रक ड्राईवर कै जिन्दगी कैसे हुवाथै जवन आधी जिन्दगी सड़क पै ही गुजार दियाथिन अपनों से महीनों भर दूर रहिके सफ़र मा आवै वाली मुश्किल से कैसे सामना कराथिन। यैसे ही कुछ ट्रक ड्राईवर से खरसतिया ढ़ाबा पै खबर लहरिया कै पत्रकार बातचीत करिन।
रजनीश कुमार मिश्रा कै कहब बाय कि बहुत संघर्ष से ड्राईवरी करत हई।परिवार से महीना मा एक दुई ब़ार मिलै का मिलत हई।बाकी गाड़ी मा ही रहै का पराथै।जहाँ मालिक कहै वहि जाय का परा थै।चाहे ठंडी हुवे चाहे कुहरा।अपने जीवन कै संघर्ष करत चलत रही थी। दस बारह घंटा तौ जाम मा ही बीत जाथै।
मनोज ट्रक ड्राईवर आजमगढ़ कै कहब बाय की रास्ता मा जवन भी मनई मिलाथे सब लूटहिन वाला मिलाथै।अगर आरटीओ मिलाथे पेपर सब सही सही मिलाथै तबौ कहाथे इंट्री दिया।।चार सौ से हजार रुपया तक वै लै लियाथिन। पारुल यादव ट्रक ड्राईवर बनारस कै कहब बाय कि गाड़ी चलावै मा जान कै खतरा तौ बहुत बाय लकिन जब गाड़ी न चलाउब तौ पैसा कहाँ से आये। दुई साल पहले लखनऊ से सिधौरी के रास्ता मा हमरे ऊपर हमला भा। पैसा, सीकड़ सब लूट लिहिन।
उमेश कुमार झारखंड कै कहब बाय की हम दुई मनई दुई गाड़ी से रहेन। जमुनिया थाना के पास एक आदमी छोटी गाड़ी लईके आय अउर अपने गाड़ी मा हमरे सबका बैठाय लिहिस। जवन पैसा रहा उहौ लै लिहिन गाड़ी लियै जाय के विचार मा रहे। गाड़ी चलावै मा बहुत दिक्कत बाय न समय पै खाना ना सोना।ऊपर से पुलिस वाले भी सौ दुई सौ लै लियाथिन।अउर जरुरी भी नाय बाय की हर महीना वेतन मील जाय।
रिपोर्टर- फिजा और नसरीन
13/12/2016 को प्रकाशित