जिला ललितपुर, गांव कुम्हैड़ी लाइन में खड़े खड़े पांव सूज गए लेकिन नोटबंदी की मार अबे भी ललितपुर जिला के कुम्हैड़ी शाखा बैंक में देखबे को मिली। नोटबंदी को दो महीना हो गये लेकिन आदमियन की समस्या दूर नइ हो रई।
इते लाइन में खड़ी ओरतन को आरोप हे के हम रोज अपनों काम छोड़ के इते आत लेकिन हमे रुपईया नइ मिलत। जब हम ओरे अपने घरे चले जात सोई कुम्हैड़ी के आदमियन को निकार के दे देत।
उर्मिला ने बताई के हम इते कम से कम पंद्रह दिना से आ रए लेकिन हमे रुपईया नइ मिल रए। हम भोर से आ जात और शाम तक बैठे रत लेकिन नइ निकारत हमाय रुपईया कत के रुपईया बचो नइया कल आइओ परो आइओ जो कह कह के भगा देत। हम दस किलो मीटर दूर से निगत आत और संगे अपनी मोड़ी को लिबा के लेयात। इतनी ठण्ड पर रइ एसे में ही ठंण्डयात रत न कपड़ा हे न कछू खाबे के लाने भूकन मर रए। जई के लाने हम इतने परेशान हो रए। अब बैंक वाले हे सो रिश्वत मांग रए हमनो खाबे के लाने तो रुपईया नइया हम रिश्वत किते से देबे पूरे दिन भूखे प्यासे बैठे रत।
बेटी बाई ने बताई के हमे खेती के लाने रुपईया चाने डीजल नइया पानी देने खेत में केसे देबे इतनो मंहगो मोल लेके बीज बो अगर अब बामे खाद बीज नइ डरे तो केसे का हुए बोई तो एक रोटी पानी को सहारो हे।
प्यारी बहू ने बताई के हमे एक महीना हो गओ आत आत हम दवाई के लाने परेशान हो रए हम गरीब आदमियन को भगा देत और बड़े बड़े आदमियन को बांट देत रुपईया। हम ओरे जात सो कह देत के कल आइओ परो आइओ और भगा देत।
संजय बैंक अधिकारी ने बताई हमाई तरफ से समस्या को समाधान नइ हो सकत काय के रिजर्व बैंक से जितने रुपईया आत हम सब बाट देत। रुपईया पे हमाओ कोनऊ अधिकार नइया गरीब आदमी और महिलाओं को बिशेष ध्यान दओ जात और बुजुर्ग महिलाओं के रुपईया पहले निकारे जात। जब से जो विरोधी कारण भओ तो रुपईया ज्यादा छप नइ रओ।
रिपोर्टर- सुषमा
Published on Jan 19, 2017