आज़ादी के सत्तर साल बाद भी देश के बहुल इलाकों में बिजली की समस्या व्याप्त है। सरकारें बदलती है और हर चुनाव में बिजली को चुनावी मुद्दा बनाती हैं लेकिन बिजली हमेशा की तरह कभी भी गांवों तक नहीं पहुँच पाती।
बुंदेलखंड ऐसा ही एक राज्य है जहाँ के कई गांवों में आज भी ढिबरी की रौशनी में लोग अपना जीवन बिता रहे हैं। ललितपुर जिले के कुम्हैड़ी गाँव में रहने वाले आज तक अँधेरे में रहते हैं।
गाँवनिवासी बनबेगम का कहना है कि हम अँधेरे में ही खाना बनाते हैं और अँधेरे में ही खाते हैं। सारे काम आज तक अँधेरे में ही किये हैं, बहुत परेशानियों भरा रहा है सब। कई बार प्रधान को कहा है लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
कमला कहती हैं। यहाँ कुछ नहीं है। शौच के लिए भी ढिबरी लेकर जाना पड़ता है। किससे कहें कोई सुनता ही नहीं है।
दयाराम कुशवाह का कहना है कि यहाँ करीब 150 से ज्यादा लोग रहते हैं और यहाँ शुरुआत से ही लाइट नहीं है।
कमलिया ने बताया कि उठते ही हम ढिबरी जला लेते हैं और बस उसी के सहारे सारे काम होते हैं। बच्चे भी उसी में पढ़ते हैं और जब लाइट है ही नहीं तो उसके भरोसे क्या बैठें।
इस बारे में बीजेपी के युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष, दीवान व्रजराज सिंह का कहना था कि बिजली के लिए काम चल रहा है। ललितपुर जिले में कुछ ही घर बचे हैं जहाँ तक बिजली नहीं गयी लेकिन यहाँ उम्मीद की जा रही हैं कि 2020 तक बिजली आ जाएगी।
इस बारे में खबर लहरिया रिपोर्टर की जे।ई, गजेन्द्र पाल से फ़ोन पर बात हुई जिसमें उन्होंने कहा कि हमने अपनी तरफ से विभाग में एक महीनें पहले ही पत्र लिख कर भेज दिया था, कार्यवाही कब होगी इस बारे में हम कुछ नहीं कह सकते।
रिपोर्टर- सुषमा