जिला ललितपुर। यहां ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिले में औरतों और जवान लड़कियों को कजऱ् चुकाने के लिए बेच दिया जाता है। इस खुलासे से देश भर में हड़कंप मच गई और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी इस पर ध्यान दिया है।
एक रिपोर्ट में ललितपुर में अब तक चल रही ‘चप्पल प्रथा’ के बारे में भी बात है। ललितपुर में आज भी अगर सामने से ऊंची मानी जाने वाली जाति का कोई आ रहा हो तो दलित समुदाय के लोगों को चप्पल उतारकर अपने हाथ में पकड़नी होती है। जातिवाद का असर आज भी इस जिले में इस हद तक देखने को मिलता है।
इन मुद्दों का राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। ललितपुर में चल रही जातिवाद से जुड़ी प्रथाएं, महिलाओं पर हो रही हिंसा और महिलाओं की घटती संख्या जैसे मुद्दों पर इस आयोग ने उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव और राज्य के डी.जी.पी. को एक महीने के भीतर रिपोर्ट तैयार करने का आदेष दिया है।
हाल ही में ललितपुर के मडावरा ब्लाक में भी सहजनी शिक्षा केंद्र दलित महिला कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार और हिंसा का मामला सामने आया था। तब भी धरने प्रदर्शन के बाद ही आरोपी को पकड़ा गया था।
ललितपुर को मिला जातिवाद पर नोटिस
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