जिला ललितपुर, ब्लाक मढ़ावरा, गांव गौना टीबी की बीमारी आज के टेम में एक आम बीमारी के जेसी हो गई। काय के जिते देखो उते टीबी के मरीज देखबे को मिलत।चाह गांव होबे चाह शहर होबे। लेकिन टीबी की बीमारी को असर गांव में ज्यादा देखबे को मिलत।
काय के गांव के आदमियन को टीबी की बीमारी को सही इलाज नइ मिल पात। आज के समय में तो चाह छोटे होबे चाह बड़े होबे या बूढ़े सबको टीवी की बीमारी हो रई।
हमाय देश में केवल तेहत्तर प्रतिशत टीबी के मरीजन को सही इलाज होत। एसेइ खरगा उन 27 प्रतिशत मरीजन में से हे जिनको सही और पूरो इलाज नइ हो पात।
ललितपुर के गौना गांव में खरगा के परिवार वालिन ने खरगा को इलाज झांसी, ललितपुर, ग्वालियर, नयागांव, छावनी, मालथौन और फिर गौना में ही इलाज कराओ। लेकिन खरगा के परिवार वालिन को हार के अलावा कछु हासिल नइ भओ।
सरकारी डॉक्टर ने एड्स के बारे में को लम्बो चौडो बयान दओ। लेकिन इलाज असर दार न होबे के बारे में कछु नइ कई। खरगा और खरगा के परिवार वाले जा की सच्चाई बतात।
खरगा की पत्नी सहोद्रा ने बताई के पहले ललितपुर गये ते प्राइवेट में सो तीन हजार रुपईया खर्च भये। फिर सबरी जांचे करवाई लेकिन कछु आराम नइ परो सो फिर सरकारी में ले गये। उते आठ नौ महीना इलाज चलो लेकिन कछु आराम नइया।
ग्वालियर में भी इलाज कराओ जांचे करवाई सो जांचन में पथरी बताई ती और कह रए ते के दिमाग की नस जाम हो गई। और अब कछु आराम नइया। अब अपने घरे बैठे कछु नइ बचो हमनो अब के अब हम इलाज करा लेबे।अगर रुपईया मिल हे तो कितऊ जाबे इलाज कराबे अब हमनो कछु नइया हम काय से का करा लेबे। अब हमनो खाबे तक गल्लो पानी नइ बचो।
खरगा की पत्नी ने रो रो के बताई के अब हमनो दो टेम की पेट भर के रोटी खाबे तक कछु नइ बचो जीसे हम अपने मोड़ी मोड़ा पाल लेबे। और बाने मदद भी मांगी के अगर हमे कछु मदद मिल जाबे तो हम इलाज करा लेबे।
डॉक्टर इंचार्ज राजेश वर्मा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ने बताई के टीबी की तो भोत दिना से हो रइ और हमाय ते दस बारह साल से जाको इलाज हो रओ। और सौ प्रतिशत मरीज ठीक भी होत गारंटी से इलाज होत। और जाके मरीजन को रुपईया भी मिलत।
रिपोर्टर- राजकुमारी
Published on 27 Dec 2016