जिला ललितपुर के कोरवास गांव की यशोदा को ससुराल वाले ने राखबे से मना कर दओ। और उनको कैबो हें।के अब यशोदा अपने मायके में रेबे।
यशोदा ने बताई के हम दोई बैने एकई घर में ब्याय ते सो बा रन नई देत। कत के मायके में रओ और लड़ लड़ के हमे मायके भगा देत। कओ सो कत के हम अकेले रेहे। और हमाय संगे न्याय करत। सो हमे कोऊ बुलात नईया और हम तो बेसेई विकलांग हें।सो कछु चलबे फिरबे को काम नइ कर पात। और बैठे बैैठे और घुटन से सरक सरक के करत। और अब तो जे घुटन में जाने का हो गओ सो अब जादा घुटनन से भी नइ चल पात। और हमाई दो मोडी हें का करे हम और न तो हमे सरकार से कछु मदद हें।देखो न तो हमाओ राशन कार्ड हें न वोटर कार्ड हें न विक्लांग को हें।न हमे कबहु एकऊ रुपजा मिलत सरकार से। सब को सब कछु मिलत हमे तो कछु नई मिलत। न सरकार से न ससुराल से। अबे तो मताई बाप हें सो उननो रे रय फिर का करे हम तो उसे कछु नई कर पात।
यशोदा के बाप कुजिया ने बताई के दोई बेनन की एकई घर में कर दई ती। के दोई आराम से रेहे।सो अब एक रत और एक नई रे पा रइ।कत के कढ जाओ मर जाओ इते नई रओ होई रओ मायके में। बा तो बैसई नई चल पात।सो कोऊ नई चात बाको सब चात सो बा उते रतजा इते रत।
यशोदा की मताई नूनीबाई ने बताई के दस पन्द्रह साल हो गयी ब्याओ को जब से मुस्किल से एक दो दार लो आबे आय हुए। और अपने मन से चली जात तो लड़ लड़ के भगा देत। और अब सो दो तीन साल हो गयी जब से बिल्कुल इतेई हें। गयी नईया न लुआबे आय।
यशोदा के पति रामचंद्र ने बताई के हम लोआबे तो जात हें। बे आत नईया । अब जिए नई रने तो कोनऊ जबरई तो हें नईया। और होई मोडी रति न बे आती तो हमाई का गलती हें जामे। बे कती के हम तो होई रेहे।
यशोदा ने बताई के हम दोई बैने एकई घर में ब्याय ते सो बा रन नई देत। कत के मायके में रओ और लड़ लड़ के हमे मायके भगा देत। कओ सो कत के हम अकेले रेहे। और हमाय संगे न्याय करत। सो हमे कोऊ बुलात नईया और हम तो बेसेई विकलांग हें।सो कछु चलबे फिरबे को काम नइ कर पात। और बैठे बैैठे और घुटन से सरक सरक के करत। और अब तो जे घुटन में जाने का हो गओ सो अब जादा घुटनन से भी नइ चल पात। और हमाई दो मोडी हें का करे हम और न तो हमे सरकार से कछु मदद हें।देखो न तो हमाओ राशन कार्ड हें न वोटर कार्ड हें न विक्लांग को हें।न हमे कबहु एकऊ रुपजा मिलत सरकार से। सब को सब कछु मिलत हमे तो कछु नई मिलत। न सरकार से न ससुराल से। अबे तो मताई बाप हें सो उननो रे रय फिर का करे हम तो उसे कछु नई कर पात।
यशोदा के बाप कुजिया ने बताई के दोई बेनन की एकई घर में कर दई ती। के दोई आराम से रेहे।सो अब एक रत और एक नई रे पा रइ।कत के कढ जाओ मर जाओ इते नई रओ होई रओ मायके में। बा तो बैसई नई चल पात।सो कोऊ नई चात बाको सब चात सो बा उते रतजा इते रत।
यशोदा की मताई नूनीबाई ने बताई के दस पन्द्रह साल हो गयी ब्याओ को जब से मुस्किल से एक दो दार लो आबे आय हुए। और अपने मन से चली जात तो लड़ लड़ के भगा देत। और अब सो दो तीन साल हो गयी जब से बिल्कुल इतेई हें। गयी नईया न लुआबे आय।
यशोदा के पति रामचंद्र ने बताई के हम लोआबे तो जात हें। बे आत नईया । अब जिए नई रने तो कोनऊ जबरई तो हें नईया। और होई मोडी रति न बे आती तो हमाई का गलती हें जामे। बे कती के हम तो होई रेहे।
रिपोर्टर- राजकुमारी
01/08/2016 को प्रकाशित
ललितपुर के कोरवास में रहने वाली यशोदा को ससुराल वालों ने ठुकराया
कारण – वो विकलांग है