जिला ललितपुर, ब्लाक महरौनी, गांव कुम्हैड़ी मजदूर आदमियन के मोड़ी मोडन के लाने सरकारी सुविधा तो दूर उन्हें रेबे के लाने सुरक्षित जघा तक नई मिलत।जई से एसी घटना होती।
इते के मजूर आदमी मजूरी करबे के लाने दिल्ली गये ते लेकिन उते से रुपईया मिलबो तो दूर बल्कि उल्टे कर्ज में डूब गये।
रेखा ने बताई के हम मजूरी करबे के लाने दिल्ली गये ते लेकिन उते हमने चार पांच दिन ही मजूरी कर पाई ती।
हम उते तसला को काम करत ते बालू सीमेंट को एक दिना हमाई दोई मोड़ी खेल रई ती सो हमाई छोटी मोड़ी तीन मंजिल से गिर परी।
जब से अब बा न बोल पात न सुन पात न बैठ पात न कोऊ को पहचान पात। बाके इलाज में अबे कम से कम पैतीस हजार रुपाईया लग गये कमाए तो सबरे आठ नौ हजार हते लेकिन अब लग गये इतने बिलात सो कर्जा हो गओ। अब और मोड़ी अबे ठीक नईया।
अब बाय के तो टीकमगढ ले जेहे के ललितपुर ले जे हे उते इलाज करा हे।
अंगूरी ने बताई के छत पेसे सड़क पे गिरी ती तीन मंजिल से जब से कछु नई बोल पात पहले सब बोल लेत ती पापा नाना नानी दादा अब कछु नई बोल रई।
बस हम तनक गदुलिया टागन लगे और बीएस उतने में गिरिल मेसे खुलख गई सो आके सीधी रोड पे गिर परी। जबई से हमाई मोड़ी की जिन्दगी बर्बाद हो गई।
रिपोर्टर- सुषमा
ललितपुर के कुम्हैड़ी गाँव से लोग पलायन करके दिल्ली गए
वहां छोटी से बच्ची तीन मंजिल से नीचे गिर गई