पटना। 9 अक्टूबर 2013 को पटना हाई कोर्ट ने 1997 के लक्षमणपुर बाथे हत्या कांड में आरोपित छब्बीस लोगों को रिहा कर दिया। साल 1997 में बिहार के जहानाबाद जिले में अट्ठावन दलितों को मारने का आरोप इन लोगों पर था। हाई कोर्ट के अनुसार सुबूतों की कमी के कारण उसे इन आरोपियों को रिहा करना पड़ा। इसके पहले 2010 में बिहार के एक सत्र न्यायालय (जिला स्तर का एक कोर्ट) ने सोलह लोगों को फांसी और बाकी दस को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ ाभी आरोपियों ने हाई कोर्ट में अपील दर्ज की थी। हाई कोर्ट के जज वी.एन. सिन्हा और ए.के. लाल ने कहा कि गवाहों पर पूरी तरह से विश्वास नहीं किया जा सकता और इस कारण आरोपियों को रिहा करना बनता है। 1 दिसंबर 1997 को जहानाबाद जिले के लक्षमणपुर बाथे गांव में रनवीर सेना के लोगों ने अट्ठावन दलितों को मार डाला था। रनवीर सेना बिहार के उच्च जाति के भूमिहर ज़मीनदारों का एक गुट है। ये गुट 1994 में भोजपुर जिले में खोपिरा गांव के ब्रह्मेश्वर सिंह ने शुरू किया था। इस सेना के लोग दलितों के खिलाफ थे क्योंकि उनका मानना था कि नक्सलवादी लोग गांवों के दलितों के ज़रिए ही उच्च जाति के लागों पर हमला करके उनकी ज़मीन हड़प लेते हैं। कई बार इस सेना के लोगों का हिंसात्मक घटनाओं में हाथ रहा है। साल 1995 में बिहार सरकार ने इस गुट पर प्रतिबंद लगा दिया। तभी से इस गुट को आतंकी माना जाता है।
लक्षमणपुर बाथे कांड में छब्बीस लोग रिहा
पिछला लेख
बजट के इंतज़ार में आंगनवाड़ी
अगला लेख