लकवा यानी पैरालिसिस बीमारी से ग्रस्त सहारनपुर के नेशनल स्कूल की 64 साल की प्रिंसिपल उमा शर्मा, लोगों के लिए प्रेरणा का बन रही हैं।
उमा का पिछले 7 सालों से उमा का गले से नीचा का पूरा हिस्सा सुन्न है, वह सिर्फ अपने सिर और हाथों को ही हिला सकती हैं। उन्होंने 1992 में एक स्कूल की स्थापना की थी लेकिन पिछले कुछ सालों से उनकी बीमारी का वजह से उनका स्कूल में जा पाना असंभव था।
लेकिन तकलीफों के बाद भी उमा पूरी मेहनत से अपना स्कूल चला रही हैं। वह बिस्तर पर लेटे हुए ही बच्चों की वर्चुअल(वीडियो द्वारा) क्लास लेती हैं।
सहारनपुर के नुमाईश कैंप में रहने वाली उमा का संघर्ष सिर्फ इतना ही नहीं रहा है, उमा की जीवन कहानी हम सभी के लिए प्रेरणा के रूप में है।
1991 में उनके पति की देहांत हो गया, ऐसे सदमे से गुजरने के बाद 1992 में उन्होंने स्कूल की स्थापना की। कुछ समय बाद ही उनके एकमात्र बेटे की 21 साल में किसी हादसे में मौत हो गई। वो इस हादसे से भी उबरने की एक कोशिश कर रही थीं कि 2007 में वो आंशिक रूप से पैरालिसिस का अटैक पड़ गया।
इस विकट स्थिति में उन्हें मात्र उनकी बेटी का ही सहारा था लेकिन नियति थी कि 2010 में उनकी बेटी की भी मौत हो गई ।
शारीरिक और मानसिक दोनों ही चोट झेल रहीं उमा के जख्म वक्त के साथ और भी गहरे होने लगे और उनका शरीर पूरी तरह से सुन्न हो गया।
लेकिन इतनी समस्याएं होने के बाद और समय की मार से चोटिल होने पर भी उमा ने हार नहीं मानी और अपने शिक्षण कार्य में व्यस्त रहने का मन बनाया। वह अपने टैबलेट(हाथ का कंप्यूटर) से सीधे बच्चों और शिक्षकों से बात करती हैं।स्कूल प्रबंधक ने बताया इस पूरे स्कूल में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं जिससे वह अपने टैबलेट से पूरे स्कूल पर नजर रख सकती हैं।
इस स्कूल में 8वीं क्लास तक की पढ़ाई होती हैं और सभी अपनी प्रिंसिपल की सराहना करते नजर आते हैं।