कुछ दिन पहले चेन्नई में रेलवे सुरक्षा बल ने लोकल ट्रेनों और स्टेशन पर महिला सुरक्षा को बढ़ाने की पहल की. इस पहल के अनुसार चेन्नई के कुछ प्रसिद्ध विश्विद्यालों की छात्राएँ स्टेशन और ट्रेनों में जाकर क़रीब 2000 महिलाओं से उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल पूछेंगी. ये पहल स्वाति एस. नाम की महिला की हत्या के कारण शुरू हुई है. 24 जून की सुबह को नुन्गम्बक्कम स्टेशन पर एक आदमी ने स्वाति की हत्या कर दी थी. ताज्जुब की बात ये है कि उस स्टेशन पर कोई भी सी.सी.टी.वी. कैमरा नहीं लगा था और पुलिस भी दो घंटे बाद पहुची. पुलिस ने हत्यारे को 2 जुलाई को पकड़ा. लेकिन स्वाति की हत्या के बाद ट्रेन और स्टेशन पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं.
ललिथा विक्रम, जो हर रोज़ लोकल ट्रेन से दफ़्तर जातीं हैं का कहना है कि, ‘मैं हर पल सतर्क रहती हूँ. अब आदत सी पड़ गयी है.’ ट्रेन में मर्दों के साथ सफ़र करने के अनुभव पर उन्होंने कहना कि, ‘अगर एक औरत अकेले सफ़र कर रही है, तो उसे सब घूर के देखते हैं-चाहे वो युवा हो या 50 साल का बूढा. जो महिलाएँ लिपस्टिक लगातीं हैं या बिना आस्तीन के कुरते या शर्ट पहनती हैं, उन्हें और दिक्कत होती है.’ उन्होंने कहा कि बड़े स्टेशन पर फिर भी कुछ पुलिस दिखती है, लेकिन जो छोटे स्टेशन हैं वहाँ कोई नहीं होता. ऐसे में यदि ट्रेन में कोई घटना हो भी जाये तो उसके बारे में किसी से शिकायत भी नहीं कर सकते.
चेन्नई के सीनियर सुरक्षा अधिकारी, के.अशरफ़ ने नई सुरक्षा पहल के बारे में कहा कि, ‘हम चाहते हैं कि महिलाएँ हमें अपनी सुरक्षा को और मज़बूत बनाने के लिए सुझाव दें. हम जानना चाहते हैं कि क्या महिलाओं को सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर पता है? क्या वो स्टेशन पर अधिक सुरक्षाकर्मी और सी.सी.टी.वी. कैमरे चाहती हैं?’
लेकिन इस पहल की ज़रुरत हर शहर में है. मुंबई की लोकल ट्रेन में सफ़र करने वाली महिलाओं को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ‘रात के समय पुरुष महिलाओं के आरक्षित डब्बों में सफ़र करते हैं. सब मर्द एक से नहीं होते, लेकिन फिर भी डर लगा रहता है,’ निमिषा नायर का कहना है.
अब देखना बाकी है कि चेन्नई की इस पहल से महिला सुरक्षा पर कितना असर पड़ता है. अगर ये पहल सफल रही, तो बाकी शहरों में भी इसको शुरू करना चाहिये.