डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। इस गिरावट के बाद केन्द्र सरकार और केन्द्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अब रुपये के गिरते स्तर को लेकर अपनी परेशानी जाहिर करने लगी है।
सूत्रों के अनुसार, केन्द्रीय रिजर्व बैंक अब अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) की मदद लेने की तैयारी कर रही है।
बता दें, बीते दिनों केन्द्रीय बैंकों द्वारा रुपये को संभालने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचने की कवायद के चलते देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम हुआ है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, जहां अप्रैल मध्य तक भारत का 427 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था वहीं अब यह 400 बिलियन डॉलर के पास आ चुका है।
इसके अलावा हाल ही में केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि उसने अपने सोने के भंडार में 8.46 मेट्रिक टन का इजाफा किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने यह खरीदारी वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान की थी। इस खरीदारी से मौजूदा समय में रिजर्व बैंक के खजाने में 566.23 मेट्रिक टन सोने का भंडार है और रिजर्व बैंक के अनुसार यह खरीदारी उसने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के लिए किया है।
मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि केन्द्रीय बैंक की यह कवायद भी रुपये के गिरते स्तर को सहारा देने के लिए थी लेकिन इस कदम का भी कोई खास असर रुपये की चाल पर देखने को नहीं मिला।
लिहाजा अब केन्द्र सरकार और केन्द्रीय रिजर्व बैंक रुपये की गिरावट को लगाम लगाने के लिए विदेश में रह रहे भारतीय नागरिकों का सहारा लेने की तैयारी कर रहे हैं।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, डॉलर की तुलना में रुपया 72 पैसे कमजोर होकर रिकॉर्ड 72.45 पर बंद हुआ। यह 13 अगस्त के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। उस दिन रुपया 110 पैसे गिरा था।
10 सितंबर को कारोबार के दौरान यह 1.3% यानी 94 पैसे गिरकर 72.67 तक पहुंच गया था। तब रिजर्व बैंक ने मुद्रा बाजार में डॉलर बेचे, जिससे स्थिति थोड़ी सुधरी।
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने रिजर्व बैंक से कहा है कि वह रुपए को और गिरने से बचाने के उपाय करें। एशियाई देशों की करेंसी में रुपया ही इस साल सबसे ज्यादा कमजोर हुआ है। इसमें करीब 13% गिरावट आ चुकी है।