जिला महोबा, ब्लाक कबरई, गांव पसवारा। एते की रामरती ने अपने भाइयन को सरकारी कर्जा एक लाख दस हजार रुपइया 23 सितम्बर 2014 खा भरो हतो, पे अब ऊखे भाई रुपइया देय से मना करत हें। एईसे रामरती रुपइया पाये खे लाने भाइयन के चक्कर लगाउत हे। रामरती बताउत हे कि मोओ बाप भुलुआ बिलरही गांव को रहे वाले आय। दस पेहले मोये बाप ने खेती करे खे लाने ट्रेक्टर खरीदो हतो। जीमे हमाई जमीन भी लगी हती। बाप के मरे खे बाद मोये भाइयन (मंगना, देशराज ओर बाबूराम) ने आपन कर्जा तो भर दओ, पे मोई खेती अभे तक बन्धक बनी हती। ईखी जानकारी तभे भई जभे मोओ देवर के्रडिट कार्ड बनवाये खे लाने बैंक गओ हतो। मेंने अपने भाइयन से कहो तो ऊने कहो कि अभे हमाये एते रुपइया नइयां। ईखे मारे मेंने एक लाख दस हजार रुपइया सरकारी कर्जा भर दओ। काय से ऊने पन्द्रह दिन के भीतर रुपइया या फिर घर देके कर्जा चुकाये खा वादा करो हतो।
भाई बाबूराम कहत हें कि में घर देय खा तैयार हों, पे बड़ा भाई मंगना नई देय देत आय।
मंगना कहत हे कि जभे ई लोगन ने टेªक्टर खरीदो हतो। तभे मोये बटवारा हो दओ हतो। अब जोन घर में में रहत हों ओई खा रामरती खा देय खा कहत हें। में कहत हों कि जमीन दे देव। काय से जमीन सबके साथ की आय।
रुपइया खे लाने सगे भी बन जात हें दुश्मन
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