रियो ओलंपिक में तो भारत सिर्फ दो ही पदक जीत सका, लेकिन 7 से 18 सितंबर तक रियो में ही होने वाले पैरालंपिक खेलों में अब कुछ पदकों की उम्मीद की जा रही है!
1984 में हुए दूसरे विश्व युद्ध के रिटायर जवानों के छोटे से समूह से शुरु हुए पैरा ओलंपिक खेल आज दुनिया के सबसे बड़े खेलों में से एक बन गया है जिसमें शारीरिक रूप से विकलांग खिलाड़ी भाग लेते हैं। यह खेल हर साल ओलंपिक खेलों के बाद होते हैं। इस साल इन खेलों में 161 देशों के 4300 खिलाड़ियों के भाग लेने की संभावना है। शारीरिक विकलांगता के बावजूद खिलाड़ी 500 से भी ज्यादा खेलों में भाग लेंगे।
पैरालंपिक में भारत के 17 खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया था, लेकिन रूसी पैरालंपिक टीम पर बैन लगने के कारण उसको दो कोटा स्थान और मिल गए थे। अब भारत के 19 खिलाड़ी भाग लेंगे। इसमें 16 पुरुष और तीन महिला खिलाड़ी हैं। इसमें दस हरियाणा के हैं। जिनमें क्लब थ्रो चक्का फेंक में अमित सरोहा और भाला फेंक में देवेंद्र झाझरिया से पदक की उम्मीद की जा रही है। अमित सरोहा ने जाने से पहले कहा कि इस बार टीम पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत है और लंदन पैरालंपिक के मुकाबले रियो में ज्यादा पदक भारत की झोली में आएंगे।
भारतीय पैरालंपिक समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा पिछले पैरालंपिक में मात्र पांच भारतीय खिलाड़ी ही कोटा हासिल कर सके थे, लेकिन इस बार संख्या 19 तक पहुंची है। हमें उम्मीद है कि हमारे खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन करेंगे और भारत का नाम रोशन करेंगे।
गौरतलब है कि खिलाड़ियों के लिए आर्थिक दबाव, टिकटों की कम बिक्री और स्पॉन्सर्स नहीं मिलने के चलते इस साल खेलों को आयोजित कराने में दिक्कत हो रही है। जहां रियो में हुए ओलिम्पिक खेल इतनी चर्चा में रहे, वहीं अफ़सोस है कि पैरालंपिक में स्टेडियम सूने रहेंगे।