महिलाओं को राजनीति में एक-तिहाई कोटा देने वाला राष्ट्रीय महिला नीति मसौदा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार से मंजूरी का इंतजार कर रहा है। ये मसौदा पिछले एक साल से अटका पड़ा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित नीति को लेकर कई चर्चाएं हुई, पर इस मसौदे को हरी झंडी नहीं मिली। जुलाई 2017 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह ने कुछ संशोधनों के बाद इसे पारित कर दिया था। लेकिन तब से ये मसौदा केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं मिलने के कारण रुका हुआ है।
इस मसौदा पास होने के बाद महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, तो वहीं स्थानीय निकायों में कम से कम 50 प्रतिशत आरक्षण की आरक्षण देने की बात कही गई है। राष्ट्रीय महिला नीति मसौदा को 2001 में ही अंतिम रुप दे दिया था। लेकिन जुलाई 2017 में अन्य संशोधन किए गए। हालांकि ये मसौदा लोकतंत्र की तीन अंग यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ अन्य क्षेत्रों में महिलाओं को बढ़ाने पर जोर देता है।
इस मसौदे के कार्यान्वयन की निगरानी महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी समिति से कराई गई थी। राज्यों में राज्य स्तरीय समितियों को मुख्यमंत्री देखेंगे। अभी ये मसौदा मंत्रिमंडल से पास नहीं हुआ है।