देश में कुछ खेलों और खिलाड़ियों को छोड़कर सभी को कैसे नजरअंदाज किया जाता हैं, उसका एक उदहारण हैं बुली बसुमतारी। बुली बसुमतारी ने देश के लिए दो स्वर्ण पदक के साथ एक रजत पदक राष्ट्रीय उप जूनियर तीरंदाजी चैम्पियनशिप में जीता है। बुल्ली ने भारतीय खेल प्राधिकरण में प्रशिक्षण लिया है। बुल्ली ने सीनियर चैम्पियनशिप में एक स्वर्ण पदक भी जीता है। आज बुल्ली के ये पदक उनके लिए बेशकीमती संपत्ति है।
2010 में उन्हें तीरंदाजी करना छोड़ना पड़ा क्योंकि एक चोट के कारण उन्हें तीरंदाजी का अभ्यास करने में परेशानी होने लगी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। इन परिस्थितियों में बुली को कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली और उन्होंने तीरंदाजी को छोड़ दिया। बुली ने शादी कर ली और आज उनके दो प्यारे-प्यारे बच्चे हैं। बुल्ली के परिवार की अच्छी आर्थिक स्थिति नहीं होने के कारण आज असम हाईवे में संतरे बेचने का काम करती हैं। पर आज भी बुली अपने सपनों को पूरी तरह से छोड़ नहीं पाई हैं और अगर सरकार उन्हें मदद करे तो वह देश के लिए बहुत से पदक जीत सकती हैं। ये हमारे देश का कड़वा सचाई हैं कि यहां प्रतिभाओं को वह स्थान नहीं मिलता, जो मिलना चाहिए।