खबर लहरिया बाँदा राशन कार्ड में सिकुरते परिवार, खाद्य सुरक्षा योजना हजारों को सुरक्षा कवच से कर देगा बाहर

राशन कार्ड में सिकुरते परिवार, खाद्य सुरक्षा योजना हजारों को सुरक्षा कवच से कर देगा बाहर

ration card low res

प्रेमा देवी

जिला बांदा। 19 जनवरी को बांदा जि़ले के विकास भवन के बाहर औरतों का एक समूह बैठा है। ये जि़ला मुख्यालय पर बैठे उनका तीसरा दिन है। श्यामबाई, रानी, देवरती और दूसरी महिलाएं बडोकर खुर्द ब्लॉक से हैं। ‘‘हम ये पता लगाने आए हैं कि हमारे राशन कार्डों के बारे में क्या हो रहा है,’’ श्यामबाई ने कहा।
1 जनवरी, 2016 से उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करना शुरू किया। इस कानून के अनुसार दो तिहाई जनसंख्या को (75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत शहरी) अन्न छूट पर दिया जाएगा। इस कानून को चैबीस राज्यों में लागू कर दिया गया है और 53 करोड़ लोगों तक इसका फायदा पहंचने की उम्मीद है।
पिछले दो हफ्तों से बांदा के विकास भवन और जि़ला पूर्ती कार्यालय में बहुत हलचल है। ये कानून शुरुआती दौर की मुश्किलें झेल रहा है। खाद्य सुरक्षा मोहर के साथ राशन कार्ड सबको नहीं मिले हैं और कोटेदार अभी से प्रदर्शन करने लगे हैं। मगर इस कानून का सबसे चिंतावाला कारक है, ज़रूरी ऑनलाइन पंजीकरण काफी गड़बड़ हो रही है।
ऑनलाइन पंजीकरण मार्च 2015 में बांदा में शुरू हुआ। कंप्यूटर में डाले गए रिकॉर्डों से कार्ड धारक की प्रमाणिकता पता चलनी थी। इस प्रक्रिया में परिवार को छोटा कर दिया गया है। इसका मतलब है एक महीने के अंदर ये कानून सैकड़ों लाभोक्ताओं को सुरक्षा कवच से बाहर छोड़ देगा।


परशुराम तालाब की प्रेमा देवी बीपीएल कार्ड धारक हैं। उनके परिवार में आठ सदस्य हैं और हर सदस्य एक इकाई है। हर इकाई कम दामों पर पांच किलोग्राम अन्न की हकदार है। मगर जब प्रेमा देवी का विवरण खाद्य सुरक्षा के ऑनलाइन पंजीकरण पर डाला गया तो उनकी परिवार की आठ इकाइयां केवल एक इकाई बन गईं। इस कानून के अनुसार उन्हें सिर्फ 3.5 किलोग्राम गेहूं और 1.5 किलोग्राम चावल मिला है। ‘‘मेरा परिवार इससे अपना गुज़ारा कैसे चलाएगा? इससे तो बीपीएल कार्ड ही अच्छा था जिसमें हमें 20 किलोग्राम गेहू और 15 किलोग्राम चावल मिलता था। साथ ही चीनी और मिट्टी का तेल भी मिलते थे।’’
खाईंपार के बलदेव प्रसाद भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं। पुराने राशन कार्ड में उनके परिवार की 6 इकाइयां लाभान्वित हो रही थीं, नई प्रणाली के अनुसार उनके परिवार में सिर्फ एक इकाई ही इसका लाभ उठा सकती है।
बांदा जिले से खबर लहरिया द्वारा प्राप्त कागज़ातों के अनुसार कुल 3.69 लाख राशन कार्ड धारक हैं, जिनमं एपीएल, बीपीएल,अंत्योदय शामिल हैं। अभी 1.1 लाख कार्डों को पंजीकृत किया गया है। जिसका मतलब है सत्तर प्रतिशत कार्डों पर अब भी खाद्य सुरक्षा मोहर नहीं लगी है। और मोहर लगे 1.1 लाख कार्डों में भी पहले से कम परिवार के सदस्यों को शामिल किया गया है।
जि़ला पूर्ती निरीक्षक गौरव प्रकाश चैधरी का कहना है, ‘‘राशन कार्ड के लिए अभी बहुत काम करना है। हमारी कोशिश है कि कोई छूट न जाए। हमारे पास पूरा स्टाफ नहीं है इसलिए देर हो रही है। इस समय कानून के अंतर्गत 11.47 लाख इकाइयां हैं।’’ लेकिन प्रेमा देवी का क्या?