रामनवमी आते ही दुकानें भगवा रंग से पट जाती हैं। कोई कपड़े बेंचने में तो कोई झंडे सिलने में मगन है। पचहत्तर वर्षीय मोहम्मद इस्माइल की नजर में इस रंग के क्या माइने है।
मोहम्मद इस्माइल का कहना है कि रंग चाहे जो भी हो हम तो मजदूरी का काम करते है, जो काम मिलता है उसी को करते हैं। दुकानदार का कहना है कि मजदूरी लेकर झंडा बनाने का काम करता है, उससे यह मतलब नहीं है कि कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान है। जो कार्यक्रम होते है लोग उसके लिए झंडे बनवाते हैं।
रिपोर्टर- खबर लहरिया ब्यूरों
Published on Mar 26, 2018