कई योजनाएं खारिज
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 20 जून को 2014 से 2015 वर्ष के लिए दो लाख चैहत्तर हज़ार करोड़ रुपयों का बजट पेश किया। यह बजट आने वाले साल में तय करेगा कि राज्य सरकार कहां कितना खर्चा करेगी। भाजपा ने बजट सत्र का बहिष्कार किया।
पिछले साल शुरू की गई कई योजनाओं को सरकार ने वापस लिया। इस साल के बजट में ना तो ‘लैपटाप योजना’ और ना ही ‘कन्या विद्या धन’ के लिए पैसा पास किया गया है। साथ ही समाजवादी पार्टी ने 2012 में चुनाव के पहले बेरोज़गारी भत्ते का वादा किया था, उसका भी कोई ज़िक्र नहीं है।
बजट में ज़्यादा ध्यान सड़क, पुल, सिंचाई और बिजली जैसी सुविधाओं पर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे चरण में ग्रामीण ज़रूरतों पर ध्यान दिया जाएगा।
बजट में कुछ खास प्रस्ताव
– 95 करोड़ – लखनऊ में मेट्रो रेल निर्माण
– दो सौ इक्यान्बे करोड़ – राज्य के पूर्वान्चल क्षेत्र के विकास के लिए
– सात सौ अट्ठावन करोड़ – बुन्देलखण्ड के विकास के लिए
– सोलह सौ करोड़ – वृद्धों और किसानों के पेंशन के लिए
– चौदह हज़ार करोड़ – स्वास्थ्य के लिए
– चौबीस हज़ार करोड़ – बिजली के लिए
– पच्चीस हज़ार करोड़ – अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों के विकास के लिए