23 अक्टूबर को विधानसभा में राजस्थान सरकार ने सरकारी नौकरी पेशा और जजों के खिलाफ केस दर्ज करने से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेने वाला बिल पेश किया। इस बिल को विधानसभा में पेश करने से पहले वसुंधरा की सरकार ने 7 सितंबर को एक अध्यादेश जारी किया था।
लेकिन बिल पेश होने के बाद राजस्थान विधानसभा में विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध किया। वहीं, इस बिल को लेकर कांग्रेस के अलावा खुद भाजपा के कुछ नेता भी विरोध कर रहे हैं। भाजपा के बड़े नेता घनश्याम तिवारी ने वसुंधरा राजे सरकार के नए कदम को अंसवैधानिक करार दिया। घनश्याम तिवारी ने कहा है कि यह आपातकाल की तरह है और सरकार को इस पर दोबारा सोचना चाहिए।
इस बिल पर हो रहे चौतरफा विरोध के चलते वसुंधरा सरकार बिल में कुछ बदलाव कर सकती है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल से इसमें दोबारा विचार करने के लिए कहा है।