जिला बांदा। बांदा के बबेरू क्षेत्र यादव बहुलक क्षेत्र है, जहां से पिछले दो विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विशम्भर सिंह यादव जीत रहे हैं, जिसके चलते सपा ने इस बार भी उन्हें ही टिकट देखकर उनपर अपने विश्वास को बरक़रार रखा है। वहीं बसपा ने भी यहां से चार बार विधायक रह चुके देवकुमार यादव की बहू किरण यादव पर दांव लगाया है। बसपा किरण यादव को टिकट देकर दलित और यादव वोटों को अपने खेमे में लेने की रणनीति बना चुकी है। किरन इस क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी को विकास मुद्दे बनाकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही हैं।
41 साल की किरण यादव अपने पति आनंद यादव और ससुर देवकुमार से प्रेरणा लेकर 1995 में राजनीति में आई थी। किरण इस क्षेत्र की पूर्व जिला पंचायत सदस्य भी रह चुकी हैं। पतली कदकठी की किरण सूती साड़ी पहनना पसंद करती हैं। किरण को राजनीति बचपन से लुभाती थी, पर उन्हें क्या पता था कि उनकी शादी एक ऐसे परिवार में हो जाएगी, जो तीन पीढ़ियों से राजनीति में हैं।
जनप्रचार में लगी किरण यादव गांवों में सबकों लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी पर वोट देने के लिए कहा रही हैं। वह बताती हैं कि उनका फोकस इन तीन चीजों पर ही होगा। बबेरू के किसान पानी की समस्या से परेशान हैं, क्योंकि उनके लिए ना तो पीने के लिए और न खेतों के लिए पानी है। देहात की शिक्षा और स्वास्थ्य की बुरी स्थिति के कारण बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। बुंदेलखंड में पानी की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए किरण ‘खेत को पानी और पेट को पानी’ का नारा देती हैं।
किरण इस क्षेत्र में 10 साल से शासन कर रही सपा के विशम्भर सिंह यादव के शासन की निंदा करते हुए कहती हैं, “इस क्षेत्र में तो पिछले साल से कोई विकास नहीं हुआ। समस्याओं की बात करें तो एक से बड़कर एक मुद्दे यहां निकाले। यहां की जनता के पास पानी, बिजली और राशन कार्ड नहीं है।” हालांकि किरण यादव के पास खुद भी कोई ठोस विकास की नीति नहीं है।
महिला प्रत्याशी होने के नाते इस क्षेत्र में महिला उत्थान पर कुछ करने पर वह घुंघट प्रथा का पक्ष लेने लगती हैं। वह घुंघट को बड़ों के सम्मान से जोड़कर उसे करने की वकालत करती हैं। खैर, यादव बहुलक इस क्षेत्र में क्या किरण यादव सपा को हैट्रिक मारने से रोक पाती हैं, ये अब देखना बाकी है।
रिपोर्टर- मीरा देवी और कविता
25/01/2017 को प्रकाशित