जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकार हर साल लाखन करोड़न रूपिश खर्च करत है पै सडक मा बच्चा जन्मब या योजना के पोल खोल दिहिस है। बांदा जिला मा मातृ एंव शिशु परिवार कल्याण केन्द्र 285 हैं पै व्यवस्था सिर्फ 195 मा है। का सिर्फ इमारत के संख्या बढ़ावै भर से योजना का लाभ मिल जई। या आकड़ा के हिसाब से जिला मा 90 अस्पताल बेगैर व्यवस्था के परे है।
स्वास्थ्य विभाग गर्भवती मेहरिया के देखरेख खातिर आशा बहू का चयन करिस। बच्चा पैदा होय के समय मेहरिया का सरकारी अस्पताल तक पहुंचावै मा निजी साधन करैं का रूपिया देत है। अब सवाल या उठत है कि अगर इनका निजी साधन का रूपिया मिलत है तौ प्राइवेट साधन का इंतजार काहे करत रहै। काहे से कि बहु तेरे आशा बहु मेहरियन का प्राइवेट साधन मा लई जात हैं पै आपन किराया भाड़ा निजी का भर लेत है। कतौ कतौ तौ या भी सुनै का मिलत है कि अगर साधन भी निजी करत है तौ किराया भी उनसे भरा लेत हैं अउर सरकारी रूपिया का लाभ आशा बहु उठावत है। जब या योजना के पहुंच केवल सरकारी अस्पताल अउर वहिके कर्मचारी तक ही सीमित है तौ आम जनता का काहे मिली।
दूसर कइत या भी है कि अस्पताल मा मेहरियन का पैष्टिक नाश्ता भी मिलैं का चाही वा भी नहीं कमलत आय। बच्चा पैदा होय के बाद मेहरियन का यहै मारे घर जाय का कहा जात है कि वहिका नाश्ता न दें का परैं। या पूरी व्यवस्था ही सुधारै के जरूरत है।
योजना का लाभ उठावैं विभाग
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