संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती‘ को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 21 नवम्बर को कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को उसका काम करने देना जाना चाहिए।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा ‘सीबीएफसी इसी काम के लिए बनी है। उसे अपना काम करने दीजिए। जबकि केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा ‘मेरी राय बिल्कुल साफ है। कुछ ऐतिहासिक तथ्य हमारी सोच के मुताबिक नहीं हो सकते। जो इसका विरोध कर रहे हैं पहले उन्हें फिल्म देखनी चाहिए’। फिर अगर उन्हें कुछ ऐसा दिखे जो उन्हें आहत करता हो तभी वे निर्माताओं से उन्हें हटाने के लिए कहें। ये फिल्में इतिहास पर आधारित हैं और मैं कुछ निर्देशकों को जानता हूं जो इतिहास के हर पहलू का अध्ययन करने के लिए काफी मेहनत करते हैं। हालांकि लोगों की भावनाओं का भी सम्मान किया जाना चाहिए।
पद्मावती फ़िल्म पर रोक के लिए योगी ने लिखा केंद्र को पत्र, करणी सेना ने भी विरोध तेज़ किया
इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पद्मावती विवाद के लिए इसके निर्माता–निर्देशक संजय लीला भंसाली को समान रूप से दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि संजय लीला भंसाली जनभावनाओं से खेलने की आदत हो गई है।
दीपिका पादुकोण और भंसाली के खून के लिए नेता ने की इनाम की घोषणा, वाह रे भारत
मुख्यमंत्री से कहा ‘किसी को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है चाहे वह संजय लीला भंसाली हों या फिर कोई और उन्होंने कहा ‘मुझे लगता है कि अगर फिल्म और उसके कलाकारों को धमकी देने वाले दोषी हैं तो भंसाली भी कम दोषी नहीं हैं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने रिलीज होने से पहले ही ‘पद्मावती‘ पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार का कहना है कि वे इस फिल्म को अपने राज्यों में तब तक रिलीज नहीं होने देंगे जब तक उससे विवादित अंश निकाल नहीं दिए जाते।
शिवराज सिंह: मध्यप्रदेश में नहीं दिखाई जाएगी ‘पद्मावती’