जिला झांसी, ब्लॉक बबीना, गांव मानपुर, 21 अक्टूबर 2016। झांसी के मानपुर गांव के सात साल पहले बने हुए उप-स्वास्थ्य केन्द्र में न तो कोई डॉक्टर आता है और न ही कोई स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। गांव के लोग अपनी छोटी से लेकर बड़ी बीमारियों के लिए बबीना और झांसी की ओर भागते हैं और इस आने-जाने में उनके बहुत से पैसे खर्च हो जाते हैं।
मानपुर गांव की रहने वाली बबीता, उम्र 50, इस उप-स्वास्थ्य केन्द्र के सचारू रुप से चलने की मांग करते हुए कहती हैं, “कभी रात-बेरात किसी गर्भवती की डिलिवरी होनी हो तो परेशानी होती है, क्योंकि उसी समय झांसी जाना पड़ता है। किसी के पास खुद का वाहन नहीं है, बहुत परेशानी होती है। अगर इस स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज संभव हो जाए, तो किसी को बाहर नहीं भागना पडेगा।” बबीता झांसी तक जाने में लगने वाले समय पर चिंतित हैं, क्योंकि कई बार ये समय देरी में बदलकर मरीज की जान भी ले सकता है।
गर्भ और जानलेवा बीमारियों जैसे संजीदा अवस्था के अलावा गांव के लोगों को छोटे-मोटे सर्दी बुखार के लिए भी गांव से बाहर जाना पडता है। राजकुमारी, उम्र 40, बताती हैं, “बबीना ब्लॉक तक जाने में ही 500 रुपये खर्च हो जाते हैं।” सुनीता, उम्र 53, कहती हैं, “गरीब आदमी के पास कोई साधन नहीं है,वह कैसे अपने बच्चों को बाहर के डॉक्टर को दिखाए?”
केन्द्र की स्थिति कुछ ऐसी है कि दरवाजों पर ताले लगे हुए हैं और खिड़की-दरवाजों में जंग लगा है। यहां के निवासियों का कहना हैं कि केन्द्र के ताले तोड़कर कुछ लोग पंखें भी चुराकर ले गए हैं। केन्द्र में लगे लकड़ी के दरवाजे भी आधे तोड़ दिए गए हैं और अब केन्द्र के कमरे ईंट पत्थरों से भरे हुए हैं। । कमला, उम्र 40, बताती हैं, “इस उप-स्वास्थ्य केन्द्र की कोई देखभाल करने वाला नहीं है।”
गांव की प्रधान जानकी दास बताती हैं, “इस उप-स्वास्थ्य केन्द्र में कभी कोई काम नहीं हुआ है, स्वास्थ्य केन्द्र के नाम पर आने वाली कोई भी सुविधा यहां नहीं आती हैं।” जानकी जी गांव में कोई और स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की बात करती है, “सरकार का इस केन्द्र में पैसा लगा है इसलिए इसे ही सुधारकर शुरूकर देना चाहिए।” वह इस उप-स्वास्थ्य केन्द्र में लाइट और डाक्टरों, सहायक नर्स दाई (ए.एन.एम) को नियुक्त करके फिर से शुरु करने की बात कहती हैं। बिन डॉक्टर और मरीज के ये उप-स्वास्थ्य केन्द्र की इमारत आज खण्डहर में बदल गई है। गांव वालों के लिए मानो यह बस एक सफेद हाथी बनकर रह गया है।
रिपोर्टर- सफीना
Published on 20 Oct 2016